जंसा थाना क्षेत्र के रामेश्वर में आस्था का प्रतीक रामेश्वर धाम का लोटा-भंटा मेला इस बार 14 नवंबर को लगेगा। 10 किमी की परिधि में लगने वाले मेले की तैयारियां शुरू हो गई हैं। पंचकोशी तीर्थ यात्रा के तीसरे पड़ाव रामेश्वर में अगहन माह में कृष्ण पक्ष के छठे दिन लगने वाले प्रसिद्ध मेले में भोलेनाथ का पूजन-अर्चन कर लोग संतान की मन्नतें मांगने के लिए लोग आते हैं।
कहा जाता है कि रावण वध के बाद भगवान राम को ब्रह्महत्या का पाप लग गया। इसका प्रायश्चित करने के लिए भगवान राम ने अन्न का त्याग कर दिया। इसके बाद भगवान राम काशी आए और यहां रामेश्वर में एक मुट्ठी रेत का शिवलिंग बना कर लोटा जल से पूजा कर बाटी-चोखा प्रसाद बनाकर भगवान शिव को भोग लगाया और वही प्रसाद को खा कर अपने प्रायश्चित को समाप्त करते हुए अपना व्रत तोड़ा। जो लोटा-भंटा मेला के नाम से जाना जाने लगा है। भगवान शिव और मर्यादा पुरुषोत्तम राम का पहला मिलन स्थल रामेश्वर महादेव मंदिर के प्रति लोगों का मानना है कि नि:संतान दंपतियों के लिए इसी दिन रामेश्वर महादेव की पूजा और बाटी-चोखा का प्रसाद अत्यंत कल्याणकारी है। यहां मंदिर में नहुशेश्वर, द्यावा भुमीश्वर, लक्ष्मणेश्वर, पंच पालेश्वर, अग्निश्वर, भरतेश्वर, शत्रुघ्नेश्वर, दत्तात्रेय, राम लक्ष्मण जानकी, हनुमान, गणेश भगवान नरसिंह, काल भैरव, सूर्यदेव, साक्षी विनायक और माता तुलजा-दुर्गा भवानी की प्रस्तर प्रतिमा और अनेक शिवलिंग स्थापित हैं। पास में ही झारखंडेश्वर महादेव, उत्कलेश्वर, रुद्राणी देवी के मन्दिर में दर्शन होता है। माना जाता है कि इससे कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।