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बाढ़-बारिश से बर्बाद हुई सब्जी की फसल, तेजी से बढ़ रही हैं कीमतें

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बाढ़-बारिश की वजह से परेशानी और बढ़ गई है। इससे सबसे अधिक नुकसान सब्जियों की फसलों को हुआ है। इसकी वजह से मौसम में भी सब्जियों की कीमत में कमी तो दूर उलटे बढ़ रही है। कछारी इलाके में बड़े स्तर पर सब्जियों की खेती होती है। भिंडी, तरूई समेत कई सब्जियों का विदेश तक निर्यात किया जाता है लेकिन इस बार पूरी फसल बर्बाद हो गई है। अक्तूबर में 11 दिन बीत गए हैं लेकिन कछारी क्षेत्रों से बाढ़ का पानी अभी तक नहीं निकला है। उलटे तीन दिनों से हो रही बारिश की वजह से जल स्तर बढ़ गया है। इसकी वजह से निचले क्षेत्रों में पानी भर गया है।

फाफामऊ में भिंडी और टमाटर की खेती करने वाले बबलू पटेल का कहना है कि  पानी लगने की वजह से नए पौधे रोपे ही नहीं जा सके हैं। सब्जियों का निर्यात करने वाले कौड़िहार के मुन्ना पटेल का कहना है कि जो पैदावार हो रही है वह भी खराब है। उनका कहना है कि निचले क्षेत्रों में पानी लगने तथा लगातार बारिश की वजह से गोभी की फसल तो पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। फसल बढ़ ही नहीं पा रही तथा कीड़े लगने की भी शिकायत है।

कृषि संस्थान कौशाम्बी के वैज्ञानिक डॉ.मनोज सिंह का कहना है कि यह मौसम किसी भी फसल के लिए अच्छा नहीं है। इससे सब्जियों की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। इसका नतीजा है कि सब्जियों की कीमत में भी बढ़ोतरी बनी हुई है। टमाटर तो 60 से 70 रुपये प्रति किग्रा में मिल रहा है। भिंडी, नेनुआ 40 रुपये प्रति किग्रा में बिक रहे हैं। अक्तूबर महीने में अच्छी गोभी की आमद शुरू हो जाती थी लेकिन इस बार स्थिति ठीक नहीं है। छोटे एवं दागदार गोभी के फूल भी 20 से 30 रुपये में मिल रहे हैं।

धान की फसल को भी नुकसान
पहले सूखा तो अब लगातार बारिश की वजह से धान की फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका बन गई है। इन दिनों धान की फसल बढ़वार पर है। ऐसे में तेज हवा के साथ बारिश की वजह से बासमती, मंसूरी प्रजाति की फसल कई जगहों पर गिर गई है। कृषि वैज्ञानिक डॉ.मनोज सिंह का कहना है कि इससे पैदावार में कमी आएगी। इसके अलावा फसल काली भी पड़ जाएगी, जिसकी अच्छी कीमत नहीं मिलेगी। डॉ.मनोज का कहना है कि हाइब्रिड धान की फसलों को अभी नुकसान नहीं हुआ है।

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