वायु सेना अपने 30 और लड़ाकू सुखोई विमानों को 500 किलोमीटर से अधिक रेंज की ब्रह्मोस मिसाइल से लैस करेगी। फिलहाल वायु सेना के पास दुनिया की एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस 40 सुखोई-30 एमकेआई विमान हैं, जिन्हें पाकिस्तान के साथ देश की पश्चिमी सीमा और चीन के साथ पूर्वी सीमा पर तैनात किया गया है। वायु सेना के पास ब्रह्मोस से लैस 70 सुखोई विमान हो जाने के बाद भारत की आसमानी ताकत और ज्यादा बढ़ जाएगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार भारतीय वायु सेना ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल के साथ एकीकृत सुखोई-30 लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाने के लिए तैयार है, जिसकी रेंज अब 500 किलोमीटर से अधिक है। आईएएफ के पास वर्तमान में ब्रह्मोस के साथ 40 सुखोई लड़ाकू विमान हैं। इस मिसाइल की सीमा पहले 290 किमी. थी लेकिन इसे अब 500 किमी. से अधिक तक बढ़ा दिया गया है। ब्रह्मोस की रेंज को 800 किमी. से 1,500 किमी. तक बढ़ाने पर भी काम किया जा रहा है। इस मिसाइल ने अपनी असाधारण सटीकता के साथ हमला करने के मामले में भारतीय वायुसेना को एयरोस्पेस की दुनिया में बहुत ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है।
वायु सेना ने अगस्त, 2020 में तमिलनाडु के तंजावुर में ब्रह्मोस से लैस सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट्स के 222 ‘टाइगर शार्क’ स्क्वाड्रन को कमीशन किया था। यह पहली बार था जब चौथी पीढ़ी के वायु सेनानियों को दक्षिणी वायु कमान से बाहर किया गया था। वायु सेना ने सुखोई-30 की समुद्री हमले की क्षमता को देखते हुए हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती मौजूदगी का मुकाबला करने के लिए यह कदम उठाया था। रणनीतिक कारणों से तंजावुर भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है, इसीलिए सुखोई-30 एमकेआई को यहां तैनात करने का फैसला लिया गया था। टाइगर शार्क स्क्वाड्रन में 18 लड़ाकू विमान हैं, जिनमें से लगभग छह ब्रह्मोस से लैस हैं।
कुल मिलाकर वायु सेना के पास ब्रह्मोस से लैस 40 सुखोई विमान हैं, जिन्हें पाकिस्तान के साथ देश की पश्चिमी सीमा और चीन के साथ पूर्वी सीमा पर तैनात किया गया है। सुखोई की रेंज 1,500 किलोमीटर है, इसलिए यह क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस से लंबी दूरी के लक्ष्यों को मार सकता है। अब वायु सेना अपने 30 और लड़ाकू सुखोई विमानों को 500 किलोमीटर से अधिक रेंज की ब्रह्मोस मिसाइल से लैस करेगी। यूक्रेन-रूस के युद्ध का असर सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने की योजना पर भी पड़ा है, इसलिए अब इस बेड़े का भारत में ही तेजी के साथ आधुनिकीकरण करने का फैसला लिया गया है।