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प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद एजुकेशन सोसाइटी में अहमदाबाद मेट्रो परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन किया

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अहमदाबाद स्थित अहमदाबाद एजुकेशन सोसाइटी में एक सार्वजनिक समारोह में अहमदाबाद मेट्रो परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद मेट्रो रेल परियोजना को भी हरी झंडी दिखाई और कालूपुर स्टेशन से दूरदर्शन केंद्र मेट्रो स्टेशन तक मेट्रो की सवारी की। प्रधानमंत्री ने गांधीनगर-मुंबई वंदे भारत एक्सप्रेस को गांधीनगर स्टेशन पर हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और वहां से कालूपुर रेलवे स्टेशन तक ट्रेन से यात्रा की।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज आज 21वीं सदी के भारत के लिए, अर्बन कनेक्टिविटी के लिए और आत्मनिर्भर होते भारत के लिए बहुत बड़ा दिन है। उन्होंने वंदे भारत ट्रेन और अहमदाबाद मेट्रो में की गई अपनी यात्रा पर प्रसन्नता व्यक्त की।

प्रधानमंत्री ने वंदे भारत एक्सप्रेस के अंदर साउंड-प्रूफिंग की प्रशंसा की, जहां एक एयरलाइन के भीतर अनुभव की जाने वाली ध्वनि की तुलना में ध्वनि को सौवें हिस्से तक कम कर दिया गया था। एक व्यक्तिगत टिप्पणी पर, प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद के लोगों को भारी मतदान के लिए धन्यवाद दिया और हल्के-फुल्के अंदाज में, अहमदाबाद के यात्रियों की समझदारी और आकलन का वर्णन किया। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट करते हुए कहा, “मैं अहमदाबाद का अधिक गुणगान नहीं कर सकता, आज अहमदाबाद ने मेरा दिल जीत लिया है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी के भारत को देश के शहरों से नई गति मिलने वाली है। श्री मोदी ने कहा, “बदलते हुए समय, बदलती हुई जरूरतों के साथ अपने शहरों को भी निरंतर आधुनिक बनाना जरूरी है।” उन्होंने कहा कि शहर में ट्रांसपोर्ट का सिस्टम आधुनिक हो, सीमलेस कनेक्टिविटी हो, यातायात का एक साधन दूसरे को सपोर्ट करे, ये किया जाना आवश्यक है। इसी सोच के तहत शहरी बुनियादी ढांचे में भारी निवेश किया जा रहा है। पिछले 8 वर्षों में, दो दर्जन से अधिक शहरों में या तो मेट्रो शुरू हो गई है या उनका काम एक उन्नत चरण में है। दर्जनों छोटे शहरों को हवाई संपर्क और उड़ान योजना से जोड़ा गया है। इसी तरह रेलवे स्टेशनों में भी बदलाव हो रहा है। उन्होंने कहा, “आज गांधीनगर रेलवे स्टेशन दुनिया के किसी हवाईअड्डे से कम नहीं है।” उन्होंने अहमदाबाद रेलवे स्टेशन के आधुनिकीकरण के सरकार के फैसले का भी जिक्र किया।

अहमदाबाद-गांधीनगर की सफलता के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने जुड़वां शहर विकास अवधारणा की सफलता पर विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि आनंद-नाडियाड, भरूच अंकलेश्वर, वलसाड और वापी, सूरत और नवसारी, वडोदरा-हलोल कलोल, मोरवी-वांकानेर और मेहसाणा लिंक जैसे कई जुड़वां शहर गुजरात की पहचान को और मजबूत करने जा रहे हैं।

श्री मोदी ने आने वाले 25 वर्षों में विकसित स्थिति सुनिश्चित करने में अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, भोपाल, इंदौर, जयपुर जैसे शहरों की भूमिका से अवगत कराया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पुराने शहरों में सुधार और उनके विस्तार पर फोकस के साथ-साथ ऐसे नए शहरों का निर्माण भी किया जा रहा है, जो ग्लोबल बिजनेस डिमांड के अनुसार तैयार हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “गिफ्ट सिटी भी इस प्रकार के प्लग एंड प्ले सुविधाओं वाले शहरों का बहुत उत्तम उदाहरण हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पहली बार है जब देश में मेट्रो के इतिहास में 32 किलोमीटर लंबे खंड को एक बार में चालू किया गया है। उन्होंने कहा कि रेलवे लाइन पर मेट्रो ट्रैक के निर्माण की चुनौती के बावजूद परियोजना को तेजी से पूरा किया गया है।

वंदे भारत एक्सप्रेस के बारे में बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि अहमदाबाद और मुंबई के बीच शुरू हुई वंदे भारत ट्रेन देश के दो बड़े शहरों के बीच सफर को आरामदायक भी बनाएगी और दूरी को भी कम करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक एक्सप्रेस ट्रेन अहमदाबाद से मुंबई की यात्रा पूरी करने में लगभग सात से आठ घंटे का समय लेती है, जबकि एक शताब्दी ट्रेन में साढ़े छह से सात घंटे लगते हैं। दूसरी ओर, वंदे भारत एक्सप्रेस गांधीनगर से मुंबई तक की यात्रा को पूरा करने में अधिकतम साढ़े पांच घंटे का समय लेगी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि वंदे भारत एक्सप्रेस अन्य ट्रेनों की तुलना में अधिक यात्रियों को समायोजित कर सकती है। प्रधानमंत्री ने उन तकनीशियनों और इंजीनियरों के साथ अपनी बातचीत को भी याद किया, जिन्होंने वंदे भारत कोच को डिजाइन किया और बनाया। साथ ही, उन्होंने उनकी पहल और आत्मविश्वास के लिए अपनी ओर से प्रशंसा व्यक्त की। काशी रेलवे स्टेशन पर अपनी बातचीत को याद करते हुए जब प्रधानमंत्री को वंदे भारत एक्सप्रेस में उपलब्धता के लिए भीड़ के बारे में सूचित किया गया था, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बढ़े हुए सामान के कारण मजदूरों और गरीबों के लिए जाने वाली ट्रेन थी और यात्रा कम समय की हो गई थी। श्री मोदी ने कहा, “यह वंदे भारत की शक्ति है।” प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि ‘डबल इंजन गवर्नमेंट’ के कारण मेट्रो परियोजनाओं के लिए मंजूरी और अन्य अनुमतियां परियोजना को तेजी से पूरा करने के लिए बहुत जल्दी प्राप्त की गईं। मेट्रो के लिए रूट प्लानिंग गरीबों और जरूरतमंदों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए की गई। उन्होंने कहा कि कालूपुर को मल्टी-मॉडल हब मिल रहा है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार ने शहरों के हमारे गरीब, मिडिल क्लास के साथियों को धुएं वाली बसों से मुक्ति मिले, इसके लिए इलेक्ट्रिक बसों के निर्माण और संचालन के लिए हमने फेम योजना शुरू की। श्री मोदी ने कहा, “इस योजना के तहत अभी तक देश में 7 हजार से अधिक इलेक्ट्रिक बसों को स्वीकृति दी जा चुकी है।” श्री मोदी ने कहा, “केंद्र सरकार ने इन इलेक्ट्रिक बसों पर 3,500 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।” प्रधानमंत्री ने बताया कि इस योजना के तहत अब तक गुजरात राज्य में आठ सौ पचास इलेक्ट्रिक बसें शुरू की गई हैं, जिनमें से सौ बसें गुजरात की सड़कों पर पहले से ही चल रही हैं।

पूर्व की केंद्र सरकारों को आड़े हाथों लेते हुए प्रधानमंत्री ने शहरों में जाम की समस्या को दूर करने के लिए किए गए लापरवाह कार्यों की ओर इशारा किया। 21वीं सदी का भारत गति को तेज विकास का एक महत्वपूर्ण कारक और उसकी गारंटी  मानता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि गति को लेकर ये आग्रह आज गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान में भी दिखता है, नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी में भी दिखता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे रेलवे की गति को बढ़ाने के अभियान में भी स्पष्ट होता है।” हम अगले साल अगस्त तक 75 वंदे भारत ट्रेनें चलाने पर तेजी से काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत की वंदे भारत ट्रेन की खूबी यह है कि यह महज 52 सेकेंड में 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ लेती है।

रेलवे नेटवर्क में किए गए विकास के बारे में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश के रेलवे नेटवर्क के एक बड़े हिस्से को मानव रहित फाटकों से मुक्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा, “पूर्वी और पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर तैयार होने के बाद मालगाड़ियों की गति भी बढ़ेगी और यात्री ट्रेनों में देरी भी कम होगी।”

प्रधानमंत्री ने देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के बारे में सुझाव-परामर्श प्रक्रिया में महत्वपूर्ण परिवर्तनों के साथ-साथ गति को एक आवश्यक घटक के रूप में स्वीकार किया। श्री मोदी ने कहा, “पिछले 8 वर्षों में, हमने इंफ्रास्ट्रक्चर को लोगों की आकांक्षाओं से जोड़ा है।” श्री मोदी ने कहा, “एक समय था जब बेसिक इन्फ्राट्रक्चर के बारे में घोषणाएं केवल चुनावी लाभ और हानि को ध्यान में रखते हुए की जाती थीं। करदाता की आय का उपयोग केवल राजनीतिक हितों के लिए किया गया था।” डबल इंजन सरकार ने इस सोच को बदल दिया है। परिवर्तनों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सतत प्रगति का आधार मजबूत और दूरदर्शी सोच के साथ निर्मित एक बुनियादी ढांचा है और आज जो कार्य किया जा रहा है वह इसी सोच के अनुरूप है।

प्रधानमंत्री ने इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि स्कूलों और इंजीनियरिंग क्षेत्रों के छात्रों को भूमिगत और भूमि के ऊपर मेट्रो के निर्माण में किए जाने वाले बड़े काम और इसमें किए जाने वाले निवेश के प्रकार के प्रति संवेदनशील बनाया जाना चाहिए। इससे देश की प्रगति में प्रौद्योगिकी की भूमिका में उनका विश्वास बढ़ेगा और उनमें स्वामित्व की भावना भी पैदा होगी। इससे एक ऐसी पीढ़ी उभरेगी, जो सार्वजनिक संपत्ति को कभी नुकसान नहीं पहुंचाएगी, क्योंकि वे स्वामित्व, प्रयासों और निवेश को समझेंगे।

संबोधन के समापन में, प्रधानमंत्री ने आजादी का अमृत काल में विकसित भारत के निर्माण के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण की दिशा में अधिक गति और शक्ति की आवश्यकता का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “गुजरात में डबल इंजन सरकार भी इसके लिए गंभीर प्रयास कर रही है। मुझे विश्वास है कि सबका प्रयास (सबका प्रयास) से यह काम साकार हो सकेगा।’

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल, गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, केंद्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी, संसद सदस्य श्री सी. आर. पाटिल, केंद्रीय रेल राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना विक्रम जरदोश और अहमदाबाद के मेयर श्री किरीट परमार इस अवसर पर उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

वंदे भारत एक्सप्रेस अनगिनत बेहतर और विमान यात्रा जैसे अनुभव प्रदान करती है। यह उन्नत अत्याधुनिक सुरक्षा सुविधाओं से लैस है जिसमें स्वदेशी रूप से विकसित ट्रेन टक्कर-रोधी प्रणाली-कवच शामिल है। सभी वर्गों में बैठने की सीटें हैं जबकि एग्जीक्यूटिव कोच में 180 डिग्री घूमने वाली सीटों की अतिरिक्त सुविधा है। प्रत्येक कोच में 32 इंच की स्क्रीन होती है जो यात्री सूचना और मनोरंजन प्रदान करती है।

अहमदाबाद मेट्रो परियोजना के पहले चरण में अपैरल पार्क से थलतेज तक पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर का लगभग 32 किमी और मोटेरा से ग्यासपुर के बीच उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर शामिल है। पूर्व-पश्चिम गलियारे में थलतेज-वस्त्र मार्ग में 17 स्टेशन हैं। इस कॉरिडोर में चार स्टेशनों के साथ 6.6 किमी का भूमिगत खंड भी है। ग्यासपुर को मोटेरा स्टेडियम से जोड़ने वाले 19 किमी उत्तर-दक्षिण गलियारे में 15 स्टेशन हैं। संपूर्ण चरण 1 परियोजना 12,900 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाई गई है। अहमदाबाद मेट्रो भूमिगत सुरंगों, वायाडक्ट और पुलों, एलिवेटेड और भूमिगत स्टेशन भवनों, गिट्टी रहित रेल पटरियों और चालक रहित ट्रेन संचालन के अनुरूप रोलिंग स्टॉक आदि से युक्त एक विशाल अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा परियोजना है। मेट्रो ट्रेन सेट ऊर्जा की कम खपत वाली एक प्रणाली से सुसज्जित है, जिससे ऊर्जा की खपत में लगभग 30 से 35 प्रतिशत की कमी हो सकती है। ट्रेन में अत्याधुनिक सस्पेंशन सिस्टम है जो यात्रियों को बहुत ही सहज सवारी का अनुभव प्रदान करती है। अहमदाबाद में पहले चरण की मेट्रो परियोजना के उद्घाटन से शहर के लोगों को विश्वस्तरीय मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी मिलेगी। भारतीय रेल, और बस प्रणाली (बीआरटीएस, जीएसआरटीसी और सिटी बस सेवा) के साथ मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी प्रदान की जा रही है। इसमें रानिप, वदाज, एईसी स्टेशन आदि पर बीआरटीएस और गांधीधाम, कालूपुर और साबरमती स्टेशन पर भारतीय रेलवे के साथ कनेक्टिविटी शामिल है। कालूपुर में, मेट्रो लाइन को मुंबई और अहमदाबाद को जोड़ने वाली हाई-स्पीड रेल प्रणाली से जोड़ा जाएगा।

इन व्यापक विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास होना, विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे को विकसित करने, शहरी गतिशीलता को बढ़ाने और मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी में सुधार के लिए प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इससे आम लोगों के जीवन को आसान बनाने की दिशा में उनकी सरकार के निरंतर प्रयासों का भी पता चलता है।

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