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गुजरात के सूरत में विकास कार्यों के शुभारंभ के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

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भारत माता की– जय

आप सभी सूरतवासियों को नवरात्रि की अनेक-अनेक शुभकामनाएं। वैसे नवरात्रि के समय मेरे जैसे व्‍यक्ति को सूरत आना आनंददायक है, अच्‍छा लगता है, लेकिन नवरात्रि का व्रत चलता हो, तब सूरत आने में थोड़ा कठिन लगता है। सूरत आओ और सूरती खाना खाए बिना जाओ।

ये मेरा सौभाग्‍य है कि नवरात्रि के इस पावन अवसर के समय मैं आज और कल,  गुजरात की धरती पर इंफ्रास्ट्रक्चर,  खेल-संस्कृति  और आस्था से जुड़े कई बड़े आयोजनों का हिस्सा बनूंगा। गुजरात के गौरव को और बढ़ाने का ये सौभाग्य मिलना,  आपके बीच आना और आप सबके आशीर्वाद लेना, आपका ये प्‍यार, आपका ये उत्‍साह दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। गुजरात के लोगों का, सूरत के लोगों का धन्‍यवाद करने के लिए मेरे शब्‍द भी कम पड़ रहे हैं, इतना प्‍यार आपने दिया है।

सूरत में विकास का लाभ जिस तरह हर घर तक पहुंच रहा है, वो जब मैं देखता हूं, सुनता हूं तो मेरी खुशी अनेक गुना बढ़ जाती है। इसी क्रम में आज सूरत के विकास से जुड़ी अनेक परियोजनाओं का उद्घाटन या शिलान्यास किया गया है। इनमें से अधिकतर प्रोजेक्ट,  सामान्य सूरत वासियों को,  मध्यम वर्ग को, व्यापारी वर्ग को अनेक प्रकार की सुविधाएं और लाभ पहुंचाने वाले हैं। मुझे बताया गया है कि 75 अमृत सरोवरों के निर्माण का काम सूरत में बहुत तेजी से चल रहा है। इसके लिए भी जिले के सभी साथी,  शासन-प्रशासन, हर कोई और मेरे सूरतवासी भी बधाई के पात्र हैं।

साथियों,

सूरत शहर लोगों की एकजुटता औऱ जनभागीदारी,  दोनों का बहुत ही शानदार उदाहरण है। हिन्दुस्तान का कोई प्रदेश ऐसा नहीं होगा, जिसके लोग सूरत की धरती पर न रहते हों, एक प्रकार से मिनी हिन्‍दुस्‍तान। सूरत की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये शहर सूरत, इस बात के लिए मैं हमेशा इसका गर्व करता हूं, ये शहर श्रम का सम्मान करने वाला शहर है। यहां टैलेंट की कद्र होती है,  प्रगति की आकांक्षाएं पूरी होती हैं, आगे बढ़ने के सपने साकार होते हैं। और सबसे बड़ी बात, जो विकास की दौड़ में पीछे छूट जाता है, ये शहर उसे ज्यादा मौका देता है, उसका हाथ थामकर आगे ले लाने का प्रयास करता है। सूरत की यही स्पिरिट आज़ादी के अमृतकाल में विकसित भारत के निर्माण के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।

साथियों,

इस सदी के शुरुआती दशकों में जब दुनिया में तीन ”P” यानि पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप की चर्चा होती थी, तब मैं कहता था कि सूरत चार ‘पी’ का उदाहरण है। चार ”P”  यानि पीपल्स,  पब्लिक, प्राइवेट, पार्टनरशिप। यही मॉडल सूरत को विशेष बनाता है। सूरत के लोग वो दौर कभी भूल नहीं सकते, जब महामारियों को लेकर, बाढ़ की परेशानियों को लेकर यहां अपप्रचार को हवा दी जाती थी। उस कालखंड में यहां के व्यापारी और व्‍यापारी समाज के अनेक लोगों से मैंने एक बात कही थी।  मैंने कहा था कि अगर सूरत शहर की ब्रांडिंग हो गई तो हर सेक्टर, हर कंपनी की ब्रांडिंग अपने आप हो जाएगी। और आज देखिए, सूरत के आप सभी लोगों ने ऐसा करके दिखा दिया है।  मुझे खुशी है कि आज दुनिया के सबसे तेज़ी से विकसित होते शहरों में सूरत का नाम है और इसका लाभ यहां हर व्यापार-कारोबार को हो रहा है।

भाइयों और बहनों,

पिछले 20 वर्षों में सूरत ने देश के बाकी शहरों की अपेक्षा बहुत अधिक प्रगति की है, तेजी से प्रगति की है। आज हम अक्सर देश के सबसे स्वच्छ शहरों में सूरत का गर्व से ज़िक्र करते हैं। लेकिन ये सूरत के लोगों की निरंतर मेहनत का परिणाम है। सैकड़ों किलोमीटर से अधिक के नए ड्रेनेज नेटवर्क ने सूरत को एक नया जीवनदान दिया है। दो दशकों में इस शहर में जो सीवरेज ट्रीटमेंट की कैपेसेटी बनी है,  उससे भी शहर को साफ-सुथरा रखने में मदद मिली है। आज भाकर और बामरौली में नई कैपेसिटी जुड़ गई है। यहां जिन साथियों को काम करते हुए 20 साल से ज्यादा का समय हो चुका है, वो इस बदलाव के बहुत बड़े साक्षी हैं। बीते वर्षों में सूरत में झुग्गियों की संख्या में भी काफी कमी आई है। इन 2 दशकों में यहां गरीबों के लिए, झुग्गियों में रहने वालों के लिए करीब-करीब 80 हज़ार घर बनाए गए हैं। सूरत शहर के लाखों लोगों के जीवन स्तर में इससे सुधार आया है।

साथियों,

डबल इंजन की सरकार बनने के बाद अब घर बनाने में भी तेज़ी आई है और सूरत के गरीबों, मिडिल क्लास को दूसरी अनेक सुविधाएं भी मिलने लगी हैं। आयुष्मान भारत योजना के तहत देश में अभी तक लगभग 4 करोड़ गरीब मरीज़ों को मुफ्त इलाज मिल चुका है। इसमें 32 लाख से अधिक मरीज़ गुजरात के और लगभग सवा लाख मरीज,  ये मेरे सूरत से हैं।

वहीं पीएम स्वनिधि योजना के तहत रेहड़ी, पटरी,  ठेले पर काम करने वाले देश के लगभग 35 लाख साथियों को अभी तक बैंकों से बिना गारंटी का सस्ता ऋण मिल चुका है। अभी शायद आपने दुनिया में बहुत जाने-माने दानवीर बिल गेट्स का एक आर्टिकल पढ़ा होगा, उसमें उन्‍होंने इस बात का जिक्र किया है। एक लेख लिखा है उसमें इन सब चीजों का उल्‍लेख किया है उन्‍होंने। साथियों,  इसमें गुजरात के ढाई लाख से ज्यादा लोगों और सूरत के करीब 40 हजार साथियों को इसकी मदद मिली है।

साथियों,

सूरत शहर के पश्चिमी हिस्से रानदेर, अरायण, पाल, हज़ीरा, पालनपुर, जहांगीरपुरा और दूसरे क्षेत्रों में आज जितनी चहल-पहल दिखती है, वो 20 साल के अखंड एकनिष्ठ परिश्रम का परिणाम है। शहर के अलग-अलग हिस्सों में तापी पर आज दर्जनभर से ज्यादा पुल हैं, जो शहर को भी जोड़ रहे हैं और सूरतवासियों को समृद्धि से भी जोड़ रहे हैं। इस स्तर की इंटरसिटी कनेक्टिविटी बहुत कम देखने को मिलती है। सूरत सही मायने में सेतुओं का शहर है। जो मानवीयता, राष्ट्रीयता और समृद्धि की खाइयों को पाट करके जोड़ने का काम करता है।

भाइयों और बहनों,

आज जिन प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है, वे सभी सूरत की इसी पहचान को सशक्त करने वाले हैं। सूरत के कपड़ा और हीरा कारोबार से देशभर के अनेक परिवारों का जीवन चलता है। DREAM City प्रोजेक्ट जब पूरा हो जाएगा तो सूरत, विश्व के सबसे सुरक्षित और सुविधाजनक डायमंड ट्रेडिंग हब के रूप में विकसित होने वाला है। वो दिन दूर नहीं जब सूरत, दुनिया भर के डायमंड कारोबारियों, कंपनियों के लिए एक आधुनिक ऑफिस स्पेस के रूप में पहचाना जाएगा।

इतना ही नहीं, कुछ महीने पहले ही केंद्र सरकार ने सूरत पावरलूम मेगाकलस्टर, ये बहुत बड़ा निर्णय है भारत सरकार का, पावरलूम मेगाकलस्‍टर, उसकी  स्वीकृति दे दी है और इससे सायन और ओलपाडो, इन क्षेत्रों में पावरलूम वालों को जो समस्याएं आती थीं वो समस्याएं कम होंगी। यही नहीं, इससे प्रदूषण से जुड़ी समस्याओं का भी समाधान होगा।

साथियों,

सूरती लोगों की खासियत है सुरतीलाला को मौज करे बिना नहीं चलता, और बाहर से आने वाला व्यक्ति भी देखते ही देखते सुरतीलाला के रंग में रंग जाता है। और मैं तो काशी का सांसद हूँ, इसलिए लोग मुझे रोज सुनाते हैं कि सूरत का भोजन और काशी की मृत्यु। शाम हुई नहीं और ताप्ती नदी के आसपास के इलाकों में घूम कर ठंडी हवा का लुत्फ उठाते हैं और कुछ खा-पीकर ही घर लौटते हैं। इसलिए ताप्ती के किनारों सहित, सूरत को और आधुनिक बनाने के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए भूपेंद्र भाई और सी आर पाटिल और कॉर्पोरेशन से जुड़े लोग, यहां के विधायक, इन सबको मैं बधाई देता हूं आपके इन प्रयासों के लिए। बायोडायवर्सिटी पार्क प्रोजेक्ट के बनने से सूरतवासियों की टहलने की इस आदत को और सुविधा मिलेगी,  उठने-बैठने-सीखने के लिए नए स्थान मिलेंगे।

भाइयों और बहनों,

एयरपोर्ट से शहर को जोड़ने वाली सड़क जो बनी है, वो सूरत की संस्कृति, समृद्धि और आधुनिकता को दर्शाती है। लेकिन यहां अनेक साथी ऐसे हैं, जिन्होंने एयरपोर्ट के लिए भी हमारे लंबे संघर्ष को देखा है, उसका हिस्सा भी रहे हैं। तब जो दिल्ली में सरकार थी, हम उनको बताते-बताते थक गए कि सूरत को एयरपोर्ट की ज़रूरत क्यों है,  इस शहर का सामर्थ्य क्या है। आज देखिए, कितनी ही फ्लाइट्स यहां से चलती हैं, कितने ही लोग हर रोज़ यहां एयरपोर्ट पर उतरते हैं। आपको याद होगा, यही स्थिति मेट्रो को लेकर भी थी। लेकिन आज जब डबल इंजन की सरकार है, तो स्वीकृति भी तेज़ गति से मिलती है और काम भी उतनी ही तेज़ी से होता है।

भाइयों और बहनों,

व्यापार-कारोबार में लॉजिस्टिक्स का कितना महत्व होता है, ये सूरत वाले अच्छे से जानते हैं। नई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स पॉलिसी से सूरत को बहुत लाभ होने वाला है। मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी के लिए भी सूरत में एक बड़ी योजना पर काम शुरू हो चुका है। घोघा-हजीरा Ropax Ferry Service  ने सौराष्ट्र के कृषि हब को सूरत के बिजनेस हब से जोड़ने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। घोघा और हजीरा के बीच रो-रो फेरी सर्विस की वजह से लोगों का समय भी बच रहा है और पैसा भी बच रहा है। सड़क के रास्ते घोघा और हजीरा के बीच की दूरी करीब-करीब 400 किलोमीटर के आसपास होती है। जबकि समंदर के रास्ते यही दूरी कुछ ही किलोमीटर हो जाती है। अब ये, इससे बड़ी सुविधा क्‍या हो सकती है। इस वजह से जहां पहले घोघा से हजीरा आने-जाने में 10-12 घंटे लगते थे, वहीं अब ये सफर साढ़े तीन-चार घंटे के अंदर हो जाता है। हम फेरी की वजह से, भावनगर, अमरेली और सौराष्ट्र के दूसरे हिस्सों से सूरत आए लोगों को बहुत लाभ होगा। अब पर्मानेंट टर्मिनल तैयार होने के कारण, आने वाले दिनों में और ज्यादा रूट खुलने की संभावना बढ़ी है। इससे यहां के उद्योगों को,  किसानों को पहले से ज्यादा लाभ होगा।

साथियों,

हमारी सरकार सूरत के व्यापारियों-कारोबारियों की हर आवश्यकता को देखते हुए काम कर रही है, नए-नए इनोवेशन कर रही है। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। आप जानते हैं कि सूरत के टेक्सटाइल का एक बड़ा बाजार काशी और पूर्वी उत्तर प्रदेश से भी जुड़ा हुआ है। यहां से बड़ी संख्या में ट्रकों के जरिए सामान, पूर्वी यूपी भेजा जाता रहा है। अब रेलवे और पोस्टल डिपार्टमेंट ने मिलकर एक नया समाधान भी खोजा है, एक नया इनोवेशन किया है। रेलवे ने अपने कोच की डिजाइन को इस तरह से बदला है कि उसमें आसानी से कार्गो फिट हो जाता है। इसके लिए खास तौर पर एक टन के कंटेनर भी बनाए गए हैं। ये कंटेनर आसानी से चढ़ाए और उतारे जा सकते हैं। शुरुआती सफलता के बाद अब सूरत से काशी के लिए पूरी एक नई ट्रेन ही चलाने की कोशिश हो रही है। ये ट्रेन, सूरत से माल-सामान ढो करके काशी तक जाया करेगी। इसका बहुत बड़ा लाभ सूरत के व्यापारियों को होगा, यहां के कारोबारियों को होगा, यहां के मेरे श्रमिक भाइयों-बहनों को होगा।

बहुत जल्द सूरत बिजली से चलने वाली इलेक्ट्रिक व्‍हीकल, बिजली से चलने वाली गाड़ियों के लिए भी ये सूरत पहचाना जाएगा। सूरत की नित नई-नई पहचान बनती है, कभी सिल्‍क सिटी, कभी डायमंड सिटी, कभी सेतु सिटी और अब इलेक्ट्रिक व्‍हीकल वाले सिटी के रूप में जाना जाएगा। केंद्र सरकार आज पूरे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने के लिए सरकारों को मदद दे रही है। सूरत इस मामले में भी देश के बाकी शहरों की तुलना में बहुत तेज़ी से काम कर रहा है और मैं सूरत को बधाई देता हूं, इस काम के लिए। आज सूरत शहर में 25 चार्जिंग स्टेशन्स का लोकार्पण और इतने ही स्टेशनों का शिलान्यास हुआ है। आने वाले कुछ समय में सूरत में 500 चार्जिंग स्टेशन्स स्थापित करने की तरफ ये बहुत बड़ा कदम है।

साथियों,

बीते 2 दशकों से विकास के जिस पथ पर सूरत चल पड़ा है, वो आने वाले सालों में और तेज़ होने वाला है। यही विकास आज डबल इंजन सरकार पर विश्वास के रूप में झलकता है। जब विश्वास बढ़ता है, तो प्रयास बढ़ता है। और सबका प्रयास से राष्ट्र के विकास की गति तेज़ होती है। इस गति को हम बनाए रखेंगे,  इसी आशा के साथ सूरत वासियों का जितना आभार व्यक्त करूं ,उतना कम है। सूरत ने उदाहरण स्वरूप प्रगति की है। मित्रों, हिंदुस्तान में सूरत के समकक्ष कई शहर हैं, लेकिन सूरत ने सबको पीछे छोड़ दिया है। और यह शक्ति गुजरात में ही है दोस्तों, यह गुजरात की शक्ति को जरा भी आंच ना आये, गुजरात की विकास यात्रा में कोई कमी ना रहे, इसके लिए कोटी-कोटी गुजराती प्रतिबद्ध है, संकल्पबद्ध है। यही विश्वास के साथ फिर एक बार आप सभी का बहुत-बहुत आभार।

भारत माता की- जय,

भारत माता की-जय,

भारत माता की- जय,

धन्यवाद!

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