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सुहागिनों ने रखा वट सावित्री व्रत, मांगा सौभाग्यवती जीवन का आशीर्वाद

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सुहागिनों ने रखा वट सावित्री व्रत, मांगा सौभाग्यवती जीवन का आशीर्वाद

 

सुहागिनों ने अखण्ड सौभाग्य की कामना के साथ सोमवार को वट सावित्री व्रत रखा। जनमानस में इसे ‘बरगदाई’ भी कहते हैं। बरगद वृक्ष का पूजन कर महिलाओं ने पति की लंबी आयु और सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद मांगा। सोमवती अमावस्या होने से इस व्रत की महत्ता और भी बढ़ गई। यह व्रत हिन्दी महीने से जेठ मास की अमावस्या को रखा जाता है।

बरगदाई की धूम सोमवार सुबह से ही मची हुई है। मोहल्लों व कालोनियों में सुबह से ही सुहागिनों ने खूब सजधर बरगद पूजने जाने लगी थीं। इंदिरा नगर बी-ब्लाक के सरोज पार्क में तीन बरगद के बड़े वृक्ष हैं। वहां अलग-अलग वृक्षों की पूजा महिलाएं कर रही थीं। इसके अलावा पेपरमिल कॉलोनी के तिकोनिया पार्क स्थित बरगद के पेड़ की महिलाओं ने भी पूजा की। यह बहुत पुराना बरगद का पेड़ है। निशातगंज, चौथी गली में बजरिया स्कूल के पास भी बरगद का सौ साल से अधिक पुराना वृक्ष लगा हुआ है, वहां पर भी मोहल्ले की महिलाएं पूजा कर रही थीं।

इसके अलावा चौपटिया के रानीकटरा स्थित श्रीसंकटामाता मंदिर में भी बरगद का सैकड़ों साल पुराना बरगद का विशाल वृक्ष लगा हुआ है, वहां पर उस क्षेत्र की अधिकांश महिलाओं ने पूजा की। वहां तो मेला सा लग गया था। इसके अलावा भी शहर में डालीगंज, चौक, गणेशगंज सहित अन्य जगहों पर भी लगे बरगद की पूजा होते दिखी।

सुहागिनों ने बरगद वृक्ष की जड़ में जल अर्पित किया। इसके बाद रोली, अक्षत, फूल, धूप व दीपक प्रज्जवलित कर पूजा की। पूजा में विशेष रूप से खरबूजा चढ़ाया। इसके अलावा अन्य मौसमी फल, पूड़ी, चंदिया व अन्य पकवान का भोग भी अर्पित किया। महिलाओं ने कच्चे सफेद सूत से अपनी सामर्थ्य के अनुसार वृक्ष की परिक्रमा की। उसके बाद प्रसाद ग्रहण किया। पूजा के अंत में देवी सावित्री और यमराज की कथा कही। बहुत से परिवारों में आज की पूजा में खरबूजा चढ़ाने के बाद ही स्वयं खाया जाता है।

कथा में बताया गया कि पतिव्रता देवी सावित्री अपने तपबल और बुद्धि की चतुराई से पति सत्यवान की मृत्यु हो जाने के बाद भी यमराज से उसके प्राण वापस मांग लाती है। मृत्यु के देवता यमराज को भी एक पतिव्रता नारी के आगे विवश होकर उसके पति के प्राण पुनः वापस करने पड़ते हैं।

भारतीय संस्कृति में पतिव्रता नारियों में देवी सावित्री का सर्वोच्च स्थान है। सौभाग्यवती स्त्रियों में उनकी उपमा दी जाती है।

चौपटियां के पंडित मंगलू पाधा बताते हैं कि सोमवती अमावस्या पड़ जाने से इस तिथि की महत्ता और भी बढ़ गई। उन्होंने बताया कि बरगद के वृक्ष को अक्षय वट कहा गया है। यह सैकड़ों साल हरा-भरा बना रहता है। इसी कारण से सुहागिन इस वृक्ष की पूजा करके पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। देवी सावित्री ने पति सत्यवान के प्राण को मृत्यु के देवता यमराज से वापस ले लिया था, इसी कारण से इसमें देवी सावित्री की भी पूजा की जाती है और स्त्रियां उनका आशीर्वाद लेती है।

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