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उपराष्ट्रपति जी ने बिगड़ते पर्यावरण संतुलन पर गंभीर चिंता व्यक्त की और गुरु जम्भेश्वर जी की शिक्षाओं को सम्पूर्ण विश्व प्रसार पर बल दिया

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भारत के माननीय उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ जी ने आज बिगड़ते पर्यावरण संतुलन पर गंभीर चिंता जाहिर की और इस संदर्भ में राजस्थान के प्रसिद्ध संत गुरु जम्भेश्वर जी की शिक्षाओं को भारत और विश्व में फैलाने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि अगर गुरु जंभेश्वर जी की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार देश-विदेश में हुआ होता और सभी ने उसको आत्मसात किया होता तो आज विश्व इस तरह से प्रकृति के प्रकोप का सामना नहीं कर रहा होता।

गुरु जंभेश्वर जी के ऐतिहासिक योगदान को याद करते हुए उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि आज से 550 वर्ष पूर्व पर्यावरण संरक्षण का संदेश देकर उन्होंने मानव-प्रकृति के बीच समन्वय और सौहार्द का रास्ता दिखाया था।

श्री धनखड़ जी ने कहा कि “आज से 550 वर्ष पूर्व कोई सोचता भी नहीं था कि पर्यावरण का संतुलन इस तरह से बिगड़ेगा। व्यक्ति अपने लालच के अंदर इस तरह से प्रकृति का दोहन करेगा। आज पूरी दुनिया त्राहि-त्राहि इसीलिए कर रही है क्योंकि उन्होंने गुरु जंभेश्वर जी की बात को नहीं माना।”

माननीय उपराष्ट्रपति जी आज बीकानेर में मुक्ति धाम मुकाम में अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा द्वारा आयोजित अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने ‘बिश्नोई रत्न’ चौधरी भजनलाल जी की प्रतिमा का अनावरण भी किया।

चौधरी भजनलाल जी के योगदान को याद करते हुए उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि वे आजीवन किसान और कमेरा वर्ग की सशक्त आवाज़ रहे। उन्होंने विश्नोई समाज को एक नई पहचान दी थी और गुरु जंभेश्वर जी की शिक्षाओं के प्रचार के लिए विश्वविद्यालय बनाया। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि “मुक्ति धाम मुकाम में चौधरी भजन लाल जी प्रतिमा से आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा मिलेगी।”

श्री धनखड़ जी ने गुरु जम्भेश्वर भगवान के सबसे प्रमुख तीर्थ स्थल मुकाम में उनकी समाधि के दर्शन कर प्रार्थना की और मुक्तिधाम मुकाम निज मंदिर के सौंदर्यीकरण और नवनिर्मित मंच का लोकार्पण भी किया। तत्पश्चात अखिल भारतीय विश्नोई समाज द्वारा माननीय उपराष्ट्रपति जी का अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति जी ने अभिभूत स्वर में कहा “मैं आज अपने परिवार के बीच में आ गया हूं। हम सब के पुरखे एक ही थे और सदियों से हम एक है। यह हमारी पहचान है।”

उपराष्ट्रपति जी ने गुरु जंभेश्वर जी द्वारा रचित “शब्द वाणी” तथा बिश्नोई समाज के 29 धर्म नियमों को भारतीय सांस्कृतिक विरासत का निचोड़ बताया और कहा कि इनके अनुपालन से जीवनशैली और समाज सदैव सही रास्ते पर रहेंगे।

बिश्नोई समाज द्वारा प्रकृति संरक्षण हेतु किये जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए श्री धनखड़ जी ने कहा कि “हम सभी को बिश्नोई समाज की जो बलिदानी गौरवशाली परंपरा है, उसको दुनिया के सामने रखा जाए ताकि दूसरे लोग भी उनसे कुछ सीख सके।”

उपराष्ट्रपति जी ने आगे कहा कि राजस्थान की इस गौरवशाली परंपरा में गुरु जंभेश्वर जी उज्जवल नक्षत्र के समान है और उन्होंने  प्रार्थना की की गुरु जी का आशीर्वाद सभी पर बना रहे।

मुकाम में कार्यक्रम के बाद उपराष्ट्रपति जी देशनोक स्थित प्रसिद्ध करणी माता मंदिर पहुंचे और वहाँ पूजा अर्चना की।

मुकाम में आयोजित समारोह में राजस्थान का पूज्य संत समाज, अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षक चौधरी कुलदीप सिंह बिश्नोई जी, अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष श्री देवेंद्र जी बुड़ियां, भारत सरकार में जलशक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह जी शेखावत, केंद्रीय मंत्री और बीकानेर सांसद श्री अर्जुन राम जी मेघवाल, केंद्रीय मंत्री श्री कैलाश चौधरी जी, राजस्थान सरकार में मंत्री, श्री सुखाराम विश्नोई जी, राज्य सभा सांसद राजेन्द्र गहलोत, राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति माननीय विजय बिश्नोई, उपनेता प्रतिपक्ष राजस्थान विधान सभा श्री राजेंद्र राठौड़ और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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