सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच आज ईडब्ल्यूएस आरक्षण को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी।
इससे पहले 15 सितंबर की सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि ये बराबरी के संवैधानिक मूल्य का उल्लंघन करता है और संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण की कभी चर्चा नहीं की गई है। वहीं ईडब्ल्यूएस के समर्थन में दलील देनेवालों के मुताबिक ये आरक्षण काफी समय से अपेक्षित था और इसका स्वागत किया जाना चाहिए।
13 सितंबर को प्रख्यात अकादमिशियन प्रोफेसर डॉ. मोहन गोपाल ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण का विरोध करते हुए कहा था कि यह आरक्षण के मतलब को ही उलट देगा। ईडब्ल्यू आरक्षण के लिए लाया गया 103वां संशोधन संविधान पर हमला है।
8 सितंबर को कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए जो बिंदु तय किए थे। चीफ जस्टिस यूयू ललित के अलावा इस संविधान बेंच में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट, जस्टिस बेला में त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला शामिल हैं। याचिका में 2019 में ईडब्ल्यूएस आरक्षण कानून को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने इस मामले में चार वकीलों को नोडल वकील नियुक्त किया है जो ईडब्ल्यूएस आरक्षण और मुस्लिमों को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग में आरक्षण देने वाली याचिकाओं में समान दलीलों पर गौर करेंगे। कोर्ट इन दोनों मामलों पर सुनवाई करने के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में सिखों को अल्पसंख्यक आरक्षण देने के मामले पर भी विचार करेगी। इसके अलावा संविधान बेंच सुप्रीम कोर्ट की अपीलीय और संविधान बेंचों में विभाजन करने और सुप्रीम कोर्ट की क्षेत्रीय बेंच बनाने की मांग पर भी सुनवाई करेगी। संविधान बेंच ने ये साफ किया कि सबसे पहले वो आरक्षण के मसले की सुनवाई करेगी क्योंकि इनमें कई मसले एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।