केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आज नई दिल्ली में भारत सरकार, असम सरकार और आठ आदिवासी समूहों के प्रतिनिधियों के बीच ऐतिहासिक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इस समझौते से असम में आदिवासियों और चाय बागान श्रमिकों की दशकों पुरानी समस्या समाप्त हो जाएगी। समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले आठ समूहों में BCF, ACMA, AANLA, APA, STF, AANLA (FG), BCF (BT) और ACMA (FG) शामिल हैं।
इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्वा सरमा, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री श्री रामेश्वर तेली, लोकसभा सांसद श्री पल्लब लोचन दास, राज्यसभा सलांसद श्री कामाख्या प्रसाद तासा, असम सरकार में मंत्री श्री संजय किशन, असम के आठ आदिवासी समूहों के प्रतिनिधि और केंद्रीय गृह मंत्रालय और असम सरकार के अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
आज हुए ऐतिहासिक समझौते के अवसर पर केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के शांतिपूर्ण और समृद्ध उत्तर पूर्व के विजन के अनुसार यह समझौता 2025 तक उत्तर-पूर्व को उग्रवाद मुक्त बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उत्तरपूर्व को शांत और विकसित बनाने की दिशा में कई प्रयास किए गए हैं जिनमें सबसे प्रमुख पूर्वोत्तर में शांति स्थापित करना है। श्री शाह ने कहा कि असम के आदिवासी समूहों के 1182 कैडर हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं।
श्री अमित शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय ने उत्तरपूर्व को शांत और समृद्ध बनाने के लिए पूर्वोत्तर की अद्भुत संस्कृति का संवर्धन और विकास करने, सभी विवादों का निपटारा कर चिरकालीन शांति स्थापित करने और पूर्वोत्तर में विकास को गति देकर देश के अन्य हिस्सों के समान विकसित बनाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि इसमें संवादहीनता और हितों के टकराव के कारण अलग-अलग गुटों ने हथियार उठा लिए थे जिसके कारण इन गुटों और राज्य सरकारों तथा केन्द्रीय सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ों में हज़ारों लोगों की जानें गईं। गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने तय किया है कि 2024 से पहले पूर्वोत्तर के राज्यों के बीच सीमा विवादों और सशस्त्र गुटों से संबंधित सभी विवादों को हल कर लिया जाएगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि गत तीन वर्षों में भारत सरकार, असम सरकार और इस क्षेत्र की अन्य सरकारों ने आपस में और विभिन्न उग्रवादी गुटों के साथ अनेक समझौते किए हैं। 2019 में NLFT, 2020 में BRU-REANG और बोडो समझौता, 2021 में कार्बी आंगलोंग समझौता और 2022 में असम-मेघालय अंतरराज्यीय सीमा समझौते के तहत लगभग 65 प्रतिशत सीमा विवाद को हल कर दिया गया। श्री अमित शाह ने कहा कि भारत और असम सरकार, आज असम के आदिवासी समूहों के साथ हुए समझौते की शर्तों के पूरी तरह पालन को सुनिश्चित करेंगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का ये रिकॉर्ड है कि उसने अब तक किए गए सभी समझौतों के 93 प्रतिशत काम पूरे किए हैं। इसके परिणामस्वरूप असम सहित पूरे पूर्वोत्तर में शांति बहाल हुई है।
श्री अमित शाह ने कहा कि आज हुए समझौते में आदिवासी समूहों की राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षणिक आकांक्षाओं को पूरा करने की ज़िम्मेदारी भारत और असम सरकार की है। उन्होंने कहा कि समझौते में आदिवासी समूहों की सामाजिक, सांस्कृतिक, जातीय और भाषाई पहचान को सुरक्षित रखने के साथ-साथ उसे और अधिक मज़बूत बनाने का भी प्रावधान किया गया है। समझौते में चाय बागानों का त्वरित और केंद्रित विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक आदिवासी कल्याण और विकास परिषद की स्थापना करने का भी प्रावधान किया गया है। श्री शाह ने कहा कि समझौते में सशस्त्र कैडरों के पुनर्वास व पुनर्स्थापन और चाय बागान श्रमिकों के कल्याण के उपाय करने का भी प्रावधान है। आदिवासी आबादी वाले गांवों/क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पांच साल की अवधि में 1000 करोड़ रुपये (भारत सरकार और असम सरकार प्रत्येक द्वारा 500 करोड़ रुपये) का विशेष विकास पैकेज प्रदान किया जाएगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्वोत्तर में शांति और समृद्धि के लिए उठाए गए अनेक कदमों के प्रति विश्वास व्यक्त करते हुए 2014 से अब तक लगभग 8,000 उग्रवादी हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। पिछले दो दशकों में सबसे कम उग्रवाद की घटनाएं वर्ष 2020 में दर्ज हुई हैं। 2014 की तुलना में, 2021 में उग्रवाद की घटनाओं में 74 प्रतिशत की कमी आई है। इसी अवधि में सुरक्षा बलों की जानहानि में 60 प्रतिशत और आम नागरिकों की मृत्यु की संख्या में 89 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार और केन्द्रीय गृह मंत्रालय समूचे पूर्वोत्तर और उसके सबसे बड़े राज्य असम को ड्रग्स, उग्रवाद और विवाद मुक्त बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश को अष्टलक्ष्मी का एक विज़न दिया है जिसके अंतर्गत पूर्वोत्तर के आठों राज्यों को भारत के विकास में अष्टलक्ष्मी बनकर योगदान देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार उत्तर पूर्व को उग्रवाद मुक्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैI स्वतंत्रता के बाद लम्बे समय तक उपेक्षा और राजनीति का शिकार रहे उत्तर पूर्वी राज्यों में विकास की गति थम गई थी और हिंसक अलगाववाद अपने पैर पसारे हुए था और मोदी जी ने इस क्षेत्र में एक्ट ईस्ट पालिसी से विकास व शांति की नई गाथा लिखी। ऐसे वक्त चुनौती न सिर्फ इन राज्यों में शांति को पुनः स्थापित करना थी बल्कि उन्हें विकास की मुख्य धारा में वापस लाकर पूर्वोत्तर को देश के विकास की मुख्यधारा का सहभागी बनाना था।