प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पीएम गति शक्ति ढांचे को लागू करने के लिए (कार्गो संबंधी गतिविधियों, जन उपयोगिताओं और रेलवे के विशेष इस्तेमाल हेतु) रेलवे की भूमि नीति को संशोधित करने के रेल मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
इसका प्रभाव:
- इससे रेलवे को और ज्यादा कार्गो आकर्षित करने में मदद मिलेगी, माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी बढ़ेगी और इससे इस उद्योग की लॉजिस्टिक्स लागत कम होगी।
- इससे रेलवे को अधिक राजस्व मिलेगा।
- ये पीएम गति शक्ति कार्यक्रम में सोची गई जन उपयोगिताओं के लिए मंजूरियों को सरलीकृत करेगा। इससे बिजली, गैस, पानी की आपूर्ति, दूरसंचार केबल, सीवेज निपटान, नालियां, ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी), पाइपलाइन, सड़क, फ्लाईओवर, बस टर्मिनल, क्षेत्रीय रेल परिवहन, शहरी परिवहन जैसी जन उपयोगिताओं के एकीकृत तरीके से विकास में मदद मिलेगी।
- इस नीतिगत संशोधन से लगभग 1.2 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
वित्तीय नतीजे:
इसका कोई अतिरिक्त खर्च नहीं होगा। भूमि पट्टे पर देने की नीति को उदार बनाने से सभी हितधारकों/सेवा प्रदाताओं/ऑपरेटरों के लिए ज्यादा कार्गो संबंधी सुविधाएं स्थापित करने के रास्ते खुलेंगे और रेलवे के लिए अतिरिक्त कार्गो यातायात एवं माल ढुलाई राजस्व पैदा करने में उनकी भागीदारी की राह भी बनेगी।
लाभ:
इस नीतिगत संशोधन से लगभग 1.2 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
विवरण:
- रेलवे की ये संशोधित भूमि नीति बुनियादी ढांचे और ज्यादा कार्गो टर्मिनलों के एकीकृत विकास को सक्षम करेगी।
- ये नीति भूमि के प्रति वर्ष बाजार मूल्य के 1.5% की दर से 35 वर्ष तक की अवधि के लिए, कार्गो से संबंधित गतिविधियों के लिए रेलवे की भूमि को लंबी अवधि के पट्टे पर प्रदान करती है।
- कार्गो टर्मिनलों के लिए रेलवे भूमि का उपयोग कर रही मौजूदा संस्थाओं के पास, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के बाद नई नीति व्यवस्था अपनाने का विकल्प होगा।
- अगले पांच वर्षों में 300 पीएम गति शक्ति कार्गो टर्मिनल विकसित किए जाएंगे और लगभग 1.2 लाख रोजगार सृजित होंगे।
- इससे माल ढुलाई में रेल की हिस्सेदारी बढ़ेगी और देश में कुल लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी।
- ये नीति भूमि के प्रति वर्ष बाजार मूल्य के 1.5% की दर से रेलवे भूमि प्रदान करके बिजली, गैस, पानी की आपूर्ति, सीवेज निपटान, शहरी परिवहन जैसी जन सुविधाओं के एकीकृत विकास के जरिए रेलवे की भूमि उपयोग को और रास्ते के अधिकार (आरओडब्ल्यू) को सरलीकृत करती है।
- ऑप्टिकल फाइबर केबल्स (ओएफसी) और अन्य छोटे व्यास वाली भूमिगत उपयोगिताओं के लिए, रेलवे ट्रैक पार करने के लिए 1000 रुपये का एकमुश्त शुल्क लिया जाएगा।
- इस नीति में रेलवे की जमीन पर सोलर प्लांट लगाने के लिए नाममात्र की लागत पर रेलवे की जमीन के इस्तेमाल का प्रावधान है।
- ये नीति प्रति वर्ष 1 रुपया प्रति वर्गमीटर के मामूली वार्षिक शुल्क पर रेलवे भूमि पर सामाजिक बुनियादी ढांचे (जैसे पीपीपी के जरिए अस्पताल और केंद्रीय विद्यालय संगठन के जरिए स्कूल) के विकास को भी प्रोत्साहित करती है।
कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:
- कैबिनेट की मंजूरी के 90 दिनों के भीतर व्यापक नीतिगत दस्तावेज तैयार और लागू किया जाएगा।
- पीएम गति शक्ति कार्यक्रम के तहत सोची गई जन उपयोगिताओं की स्थापना के लिए मंजूरियों को सरल किया जाएगा।
- अगले पांच वर्षों में 300 पीएम गति शक्ति कार्गो टर्मिनल विकसित किए जाएंगे।
पृष्ठभूमि:
रेलवे का संगठन और नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ है। हालांकि, रेलवे अपनी मौजूदा भूमि नीतियों के साथ बुनियादी ढांचे के अन्य माध्यमों के साथ अच्छी तरह से एकीकृत नहीं हो सका है। इसलिए पीएम गति शक्ति ढांचे के तहत देश भर में तेज एकीकृत प्लानिंग और बुनियादी ढांचे के विकास को मुमकिन करने के लिए रेलवे की भूमि पट्टा नीति को सुव्यवस्थित और सरल बनाने की आवश्यकता महसूस की गई।
मौजूदा नीति रेलवे से संबंधित किसी भी गतिविधि के लिए पांच साल तक की छोटी अवधि के लिए रेलवे भूमि के लाइसेंस की अनुमति देती है। इस तरह की अल्पकालिक लाइसेंस अवधि मल्टी-मोडल कार्गो हब बनाने के लिए किसी भी प्रतिबद्ध निवेशक को आकर्षित नहीं करती है। मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को ही सरकारी भूमि पट्टे पर देने के लिए 35 साल तक की लंबी अवधि तक रेलवे भूमि के पट्टे देने की अनुमति है। इससे कार्गो टर्मिनलों में निवेश का दायरा सीमित हो जाता है। चूंकि रेल परिवहन का एक कुशल साधन है, इसलिए रेल द्वारा ज्यादा माल ढुलाई करना आवश्यक है ताकि उद्योग की लॉजिस्टिक्स लागत को कम किया जा सके। माल ढुलाई में रेल के सामान्य हिस्से को बढ़ाने के लिए और ज्यादा कार्गो टर्मिनलों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए भूमि पट्टे की नीति को संशोधित करने की आवश्यकता महसूस की गई है।