सुप्रीम कोर्ट आज (शुक्रवार) 2002 के गुजरात दंगों के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को फंसाने की साजिश रचने और झूठे सबूत गढ़ने के आरोप में गिरफ्तार तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी।
इससे पहले 01 सितंबर को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने तीस्ता को अंतरिम जमानत देने की ओर इशारा किया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जमानत याचिका हाई कोर्ट में लंबित है। इसलिए तीस्ता को विशेष ट्रीटमेंट नहीं मिलना चाहिए। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाई कोर्ट ने 19 सितंबर की तारीख दी है। पुलिस पूछताछ पूरी हो चुकी है। याचिकाकर्ता महिला दो महीने से अधिक समय से जेल में है। अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है।जाकिया जाफरी की याचिका खारिज किए जाने के अगले ही दिन तीस्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। उस एफआईआर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश में जो कहा गया उससे कुछ भी अलग नहीं है।
चीफ जस्टिस ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा था कि गुजरात हाई कोर्ट ने 03 अगस्त को जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए लंबी डेट क्यों दी। अगर गुजरात हाई कोर्ट का ऐसा मानदंड है तो कोई दूसरा ऐसा उदाहरण बताइए जिसमें कोई महिला ऐसे केस में आरोपित हो और हाई कोर्ट छह हफ्ते के बाद जवाब मांगे। इस पर तुषार मेहता ने कहा था कि ऐसा अपराध किसी महिला ने नहीं किया। आरोप हत्या या शारीरिक नुकसान पहुंचाने जैसे गंभीर नहीं हैं बल्कि कोर्ट में फर्जी दस्तावेज दाखिल करने का है। ये आरोप ऐसे नहीं है कि जमानत न दी जाए। कोर्ट ने मेहता से पूछा था कि दो महीने में आपने क्या जांच की।
सुनवाई के दौरान तीस्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 जून को फैसला सुनाया और 25 जून को एफआईआर दर्ज की गई। एक दिन में तो जांच नहीं हो गई होगी। सिब्बल ने फर्जीवाड़े के आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि वो सभी दस्तावेज एसआईटी ने दाखिल किए थे। कोर्ट में झूठे साक्ष्य दाखिल करने पर एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान नहीं है। कोर्ट की शिकायत पर अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत संज्ञान लिया जाता है।
उल्लेखनीय है कि गुजरात सरकार ने जमानत का विरोध करते हुए कहा है कि एफआईआर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे के आधार पर की गई है। अभी तक की जांच में अकाट्य तथ्य सामने आए हैं। तीस्ता समेत दूसरे आरोपितो ने राजनीतिक, वित्तीय और दूसरे लाभों के लिए साजिश रची। गवाहों के बयान से भी इस बात की पुष्टि होती है कि तीस्ता ने एक राजनीतिक दल के वरिष्ठ नेता के साथ साजिश रची।
तीस्ता की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया था। तीस्ता को 26 जून को गिरफ्तार किया गया था। 24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने जाकिया जाफरी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि 2006 में जाकिया जाफरी की शिकायत के बाद निहित स्वार्थों के चलते इस मामले को 16 साल तक जिंदा रखा गया । जो लोग भी कानूनी प्रकिया के गलत इस्तेमाल में शामिल हैं उनके खिलाफ उचित कार्रवाई होनी चाहिए।