लोकसभा चुनाव में मिशन 80 को पूरा करने के लिए भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2019 में हारी 14 सीटों पर कब्जा जमाने के लिए ताकत झोंक दी है। 14 सीटों पर प्रभारी के रूप में तैनात केंद्रीय मंत्री हर महीने इन क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं वहीं जातीय समीकरण के हिसाब से समीकरण बैठाने में जुटे है।
लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा गठबंधन ने 80 में से 64 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि 16 सीटों पर सपा-बसपा गठबंधन ने जीत दर्ज की थी। हालही में हुए लोकसभा उप चुनाव में भाजपा ने उनमें से रामपुर और आजमगढ़ सीट पर कब्जा जमा लिया है। वहीं अब कांग्रेस के पास रायबरेली, बसपा के पास सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, गाजीपुर, घोसी, नगीना, अंबेडकर नगर, श्रावस्ती और लालगंज सीट है। सपा के पास मैनपुरी, मुरादाबाद, संभल सीट है।
प्रदेश में बसपा के कमजोर होते जनाधार और सपा कुनबे में फूट को देखते हुए भाजपा ने लोकसभा चुनाव में 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। 80 सीटों का लक्ष्य पूरा करने में भाजपा के लिए सपा, बसपा और कांग्रेस के कब्जे वाली 14 सीटों पर कब्जा जमाना महत्वपूर्ण है। इन 14 सीटो में से मैनपुरी और रायबरेली को छोड़कर सभी सीटें ऐसी है जिन पर भाजपा 2014 या 2019 में चुनाव जीत चुकी है। पार्टी ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय राज्यमंत्री अन्नूपूर्णा देवी और प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह को प्रभारी नियुक्त किया है।
सभी केंद्रीय मंत्रियों को तीन से चार लोकसभा क्षेत्र आवंटित किए है। सभी मंत्री अपने-अपने प्रभार वाले लोकसभा क्षेत्र में हर महीने दौरा कर जिला भाजपा की कोर कमेटी के साथ बैठक कर रहे हैं। लोकसभा क्षेत्र के विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों के साथ बातचीत करने के अलावा छोटी सभाएं और राजनीतिक कार्यक्रम भी कर रहे हैं। इन लोकसभा क्षेत्रों की समस्याओं और आवश्यकताओं को जानकर केंद्र व प्रदेश सरकार के स्तर से उनका समाधान कराने की भी योजना बनाई जा रही है।
आगामी दिनों में इन लोकसभा क्षेत्रों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के दौरे भी कराए जाएंगे। पार्टी ने प्रदेश स्तर पर इसकी मॉनीटरिंग के लिए प्रदेश महामंत्री अमरपाल मौर्य को प्रभारी नियुक्त किया है।
हार के कारण का मंथन और संभावित प्रत्याशी की तलाश भी
पार्टी सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय मंत्री लोकसभा क्षेत्रों में 2019 में मिली हार के कारणों पर मंथन के साथ वहां के जातीय समीकरण के हिसाब से 2024 के संभावित उम्मीदवारों पर भी मंथन कर रहे हैं।