उत्तर प्रदेश में डायरिया जानलेवा हो गया है। माहभर में आठ लोगों की मौत हो गई है। डायरिया से इतनी बड़ी संख्या में मौत कई साल बाद हुई है। इसके पीछे साफ सफाई में लापरवाही मूल कारण माना जा रहा है। प्रदेश के ज्यादातर जिलों में संक्रामक बीमारियां फैली हुई हैं। बारिश से पहले सावधानी नहीं बरतने का नतीजा है कि डायरिया, डिप्थीरिया जैसी बीमारियां लोगों की जान ले रही हैं। डायरिया को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांव- गांव जागरूकता अभियान चलाने का दावा किया जाता है। लेकिन ये दावे हवाई साबित हो रहे हैं। इसका प्रमाण यह है कि इस साल मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही मौत का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से जुलाई 2022 तक डायरिया के 358 मरीज मिले थे और नौ लोगों की मौत हुई थी। जबकि अकेले अगस्त माह में 577 मरीज मिले, जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई है। इस तरह वर्ष 2022 में अब तक कुल 935 मरीज मिले चुके हैं, जिसमें 17 की मौत हो गई है। इससे पहले वर्ष 2020 में सिर्फ 40 मरीज मिले, जिसमें एक भी मौत नहीं हुई थी। वर्ष 2021 में नवंबर माह तक 1187 मरीज मिले थे, जिसमें 13 की मौत हुई थी। यदि अगस्त 2021 तक का आंकड़ा देखा जाए तो प्रदेश में डायरिया के 261 मरीज मिले थे, जिसमें पांच की मौत हुई थी।
क्या कहती हैं जिम्मेदार
बारिश के मौसम में ये बीमारियां फैलती हैं। जहां भी बीमारी फैल रही है वहां स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंचती है। साफ सफाई के साथ बीमारी से बचाव की जानकारी देती है। सीवर लाइन वाले इलाकेमें बीमारी फैलने की आशंका ज्यादा रहती है।
– डॉ. लिली सिंह, महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
डायरिया वायरस और बैक्टीरिया की वजह से होती है। बारिश के मौसम में इसका असर ज्यादा होता है। जिन इलाके में सीवर के बीच से पेयजल पाइप लाइन गुजरती है वहां बीमारी फैलने की आशंका ज्यादा रहती है। जी मचलाने, पेट में मरोड़ होने, दस्त होने, मल में खून आने, बुखार डिहाइड्रेशन की समस्या हो तो तत्काल चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। बच्चों में पेशाब कम हो रही है तो सावधान हो जाना चाहिए। डायरिया होने तक तत्काल ओआरएस का घोल लेना चाहिए। पानी या जूस का सेवन करते रहने से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है।
– डॉ. आकाश माथुर, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट एसजीपीजीआई