सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले पर कहा है कि विशेषज्ञ कमेटी ने कहा है कि उसकी रिपोर्ट को प्रकाशित न किया जाए। कमेटी को 29 फोन दिए गए थे जिसमें पांच में मैलवेयर था। हालांकि यह तय नहीं हो पाया कि यह पेगासस ही है। मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी।
कमेटी ने तीन हिस्सों में अपनी रिपोर्ट सौंपी है। इनमें से दो रिपोर्ट टेक्निकल कमेटी की है जबकि एक रिपोर्ट जस्टिस रविंद्रन की है। रिपोर्ट में कुछ गोपनीय बातें हैं। कुछ निजी सूचनाएं भी हैं । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टेक्निकल कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।
जस्टिस रविंद्रन की रिपोर्ट में आम नागरिकों पर साइबर हमले और गैरकानूनी तरीके से निगरानी करने के खिलाफ नए कानून बनाने की अनुशंसा की गई है। इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगा। कोर्ट ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट के जिन हिस्सों को सार्वजनिक किया जाना है कोर्ट उनकी पहचान करेगा।
27 अक्टूबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले की सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच का आदेश दिया है। तीन सदस्यीय इस कमेटी की अध्यक्षता जस्टिस आर वी रविन्द्रन कर रहे हैं। कोर्ट ने इस जांच कमेटी की मदद के लिए तीन सदस्यीय तकनीकी कमेटी का गठन किया था। तकनीकी कमेटी में नेशनल फोरेंसिक साइंस युनिवर्सिटी, गांधीनगर के डीन प्रोफेसर डॉक्टर नवीन कुमार चौधरी, अमृता विश्व विद्यापीठम, अमृतापुरम केरल के प्रोफेसर प्रभाहरन पी और आईआईटी बांबे के प्रोफेसर डॉक्टर अश्विन अनिल गुमाश्ते शामिल हैं।