प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगले 25 वर्षों में भारत को ‘विकसित राष्ट्र’ बनाने के लिए 130 करोड़ देशवासियों की सामूहिक शक्ति का आह्वान करते हुए पांच लक्ष्य निर्धारित किये। उन्होंने ‘भ्रष्टाचार’ और ‘परिवारवाद’ को देश के सामने मुख्य चुनौती बताते हुए इससे लड़ने की बात कही।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को 76वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है और विविधता ही इसकी ताकत है। उन्होंने कहा कि भारत एक आकांक्षी समाज है, जहां सामूहिक भावना से परिवर्तन हो रहे हैं। भारत के लोग सकारात्मक बदलाव चाहते हैं और इसमें योगदान भी देना चाहते हैं।
मोदी ने कहा, चाहे केंद्र हो, राज्य हों या स्थानीय स्वशासन संस्थान हों, उनमें से प्रत्येक को आकांक्षी समाज की मांगों को पूरा करना होगा। उन्होंने कहा, हम उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किसी का इंतजार नहीं कर सकते।
2047 के लिए पांच प्रण का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत को विकसित देश बनाने के लिये देशवासियों को संकल्प लेना होगा। ऐसा विकसित राष्ट्र जो सभी कसोटियों पर खरा उतरे तथा जिसके केंद्र में मानवता हो।
मोदी ने कहा कि दूसरा प्रण, हमारे मन के भीतर यदि दासता का कोई भी निशान है, तो उसे हटाना होगा। तीसरा प्रण, हमें अपनी विरासत पर गर्व करने का लेना होगा। चौथा प्रण, देश में एकता को बढ़ावा देना है। पांचवां प्रण अपने कर्तव्यों का पालन करने का है।
प्रधानमंत्री देशवासियों को भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करने का आह्वान करते हुए कह कि देश के विकास में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद दोनों ही बड़ी बाधा बने रहे हैं। भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, उससे देश को लड़ना ही होगा। सरकार का प्रयास है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लूट का धन लौटाना पड़े।
प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यों के बीच ‘सहकारी प्रतिस्पर्धी संघवाद’ को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सहकारी संघवाद हमारे लोकतंत्र की नींव है। इसके साथ ही हमें सहकारी प्रतिस्पर्धी संघवाद की भी जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘हमें प्रगति पर प्रतिस्पर्धा की जरूरत है। अगर एक राज्य ने प्रगति सुनिश्चित करने के लिए काम किया है, तो दूसरे को बेहतर करना चाहिए।’
लाल किले की प्रचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के दौरान भारत में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए ‘जय अनुसंधान’ का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री जी का ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा हमें हमेशा याद रहता है। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी ने इस नारे में ‘जय विज्ञान’ जोड़ा। इसमें एक कड़ी को जोड़ते हुए ‘जय अनुसंधान’ की बात करा हूं।
उन्होंने कहा कि अब अनुसंधान और नवाचार को बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिये उन्होंने, ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान’ का नारा दिया।
प्रधानमंत्री ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर जोर देते हुए इसे ‘जन आंदोलन’ के रूप में आगे बढ़ाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत हर नागरिक, हर सरकार, समाज की हर इकाई की जिम्मेदारी बन जाता है। “आत्मनिर्भर भारत, यह कोई सरकारी एजेंडा या सरकारी कार्यक्रम नहीं है। यह समाज का जन आंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है।”
उन्होंने निजी क्षेत्र से आत्मनिर्भर भारत पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पीएलआई योजनाओं के माध्यम से हम दुनिया के विनिर्माण बिजलीघर बना रहे हैं। इतना ही नहीं, लोग ‘मेक इन इंडिया’ के लिए भारत आ रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने विदेशी खिलौनों का बहिष्कार करने वाले बच्चों की सराहना करते हुए कहा, ‘मैं उन बच्चों को सलाम करता हूं जो आयातित खिलौनों को ना कह रहे हैं।’ उन्होंने ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को आगे बढ़ाने के लिए रक्षा बलों की सराहना की। स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर औपचारिक सलामी के लिए पहली बार मेड-इन-इंडिया तोप का इस्तेमाल किया गया।
प्रधानमंत्री ने नारी शक्ति और नारी सम्मान पर विशेष जोर देते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने भाषण और आचरण में ऐसा कुछ भी न करें, जिससे महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचे। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति हमारे समाज के हर क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दे रही हैं।
इस संदर्भ में आगे उन्होंने कहा, “मैं अपना दर्द लाल किले से बताना चाहता हूं। मैं अपने अंदर के इस दर्द को और कहां बांट सकता हूं? अगर मैं देशवासियों के सामने यह नहीं कहता? किसी कारण से हमने अपने अंदर एक विकृति विकसित कर ली है। हमारे भाषण में, हमारे व्यवहार में, शब्दों में महिलाओं का अपमान करते हैं।”
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के नायकों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, यह देश मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकुल्ला खान, राम प्रसाद बिस्मिल और हमारे असंख्य क्रांतिकारियों का कृतज्ञ है, जिन्होंने ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी।
उन्होंने स्वतंत्र भारत के वास्तुकारों को याद किया, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारा देश गांधीजी, भगत सिंह, राजगुरु, रानी लक्ष्मीबाई और अन्य सभी स्वतंत्रता सेनानियों का आभारी है। हम न केवल स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों को, बल्कि जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे स्वतंत्र भारत के वास्तुकारों को भी सलाम करते हैं।
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 14 अगस्त को विभाजन भयावह स्मृति दिवस पर हमने भारी मन से उन लोगों को याद किया, जिन्होंने हमारे तिरंगे के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
आज अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने खुद को गांधी के सपनों के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा, महात्मा गांधी का अंतिम व्यक्ति की देखभाल करने का सपना, अंतिम व्यक्ति को सक्षम बनाने की उनकी आकांक्षा – मैंने खुद को उसी के लिए समर्पित कर दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जल्द ही 5जी मोबाइल सेवाओं का आगमन देखेगा। उन्होंने कहा, भारत की तकनीक यहां है! गांवों में 5जी, सेमीकंडक्टर निर्माण और ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) के साथ हम डिजिटल इंडिया के माध्यम से जमीनी स्तर पर क्रांति ला रहे हैं।