भारतीय मूल के उपन्यासकार सलमान रुश्दी पर शुक्रवार को पश्चिमी न्यूयॉर्क में हुए हमले के बाद उनकी हालत गंभीर है। एक समारोह में भाषण देने से पहले हमलावर ने उन पर मुक्कों से हमला करने के बाद गर्दन पर चाकू मार दिया था जिसके बाद उनको गंभीर हालत में एयरलिफ्ट करके ले जाया गया है।
रुश्दी को अपने लेखन के कारण ईरान से मौत की धमकियों के कारण वर्षों तक छुपाया गया था।
न्यूयॉर्क की गवर्नर कैथी होचुल ने कहा कि रुश्दी जीवित हैं उनके इलाज के साथ पूरी देखभाल की जा रही है।
एक चश्मदीद ने कहा कि एक व्यक्ति चौटौक्वा संस्थान में मंच पर खड़े 75 वर्षीय रुश्दी के पास पहुंचा और उनपर हमला किया। उस समय रुश्दी कलात्मक स्वतंत्रता पर सैकड़ों दर्शकों को भाषण देने जा रहे थे। पुलिस ने कहा कि कार्यक्रम में मौजूद न्यूयॉर्क राज्य पुलिस के एक जवान ने हमलावर को हिरासत में ले लिया।
राज्य पुलिस ने कहा कि द सैटेनिक वर्सेज उपन्यास लिखने वाले रुश्दी की स्थिति के बारे में पता नहीं था और उन्होंने हमले का मकसद नहीं बताया और यह स्पष्ट नहीं था कि किस तरह के हथियार का इस्तेमाल किया गया था।
रुश्दी के प्रवक्ता एंड्र्यू वायली ने एक ईमेल में कहा कि सलमान की सर्जरी हो रही है, लेकिन उनके पास अभी ज्यादा बताने के लिए कुछ खास नहीं है।
हमलावर के हमले में लेखक रुश्दी फर्श पर गिर गए, जिसके बाद वहां मौजूद लोगों ने रुश्दी को बचाने के लिए घेर लिया। हमलावर को स्थानीय पुलिस के एक जवान ने दबोच कर हिरासत में ले लिया।
रुश्दी, बंबई (अब मुंबई) में एक मुस्लिम कश्मीरी परिवार में पैदा हुए थे। ब्रिटेन जाने से पहले उन्हें चौथे उपन्यास, द सैटेनिक वर्सेज लिखने के चलते उनको धमकियों का समाना करना पड़ा। जिसमें कुछ मुसलमानों ने कहा कि इसमें ईशनिंदा के अंश हैं। 1988 के प्रकाशन पर बड़ी मुस्लिम आबादी वाले कई देशों में उपन्यास पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
एक साल बाद, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने एक फतवा, या धार्मिक फतवे का उच्चारण किया, जिसमें मुसलमानों को उपन्यासकार और ईशनिंदा के लिए इसके प्रकाशन में शामिल किसी भी व्यक्ति को मारने का आह्वान किया गया था।
आशा खबर /रेशमा सिंह पटेल