वैदिक ब्राह्मण महासभा ऋषिकेश ने सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार त्रिवेणी घाट आरती स्थल पर किया। यज्ञोपवीत कार्यक्रम के दौरान विशेष रूप से श्रीमुनीश्वर वेदांग संस्कृत महाविद्यालय के नवीन छात्रों तथा अन्य संस्कृत के छात्रों का यज्ञोपवीत संस्कार करवाया गया। प्रातः काल विधि-विधान से गंगा तट पर संस्कृत के नव प्रवेशार्थी बालकों का सबसे पहले दशविधि स्नान करवाया गया। वैदिक मंत्रों से आचार्य मुकुंद उपाध्याय तथा अन्य आचार्यों ने यज्ञोपवीत संस्कार को संपन्न करवाया।
इन संस्कृत के छात्रों को यज्ञोपवीत की दीक्षा देने वाले ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज के शिष्य केशव स्वरूप ब्रह्मचारी ने बालकों को यज्ञोपवीत संस्कार के महत्व बताया। उन्होंने कहा कि वैदिक सनातन धर्म में संस्कारों का बहुत बड़ा महत्व है। मानव जीवन को पवित्र एवं उज्ज्वल बनाने वाले धार्मिक कृत्यों को संस्कार कहा जाता है। संस्कार के द्वारा ही मनुष्य को इहलोक तथा परलोक में पवित्रता प्राप्त होती है। संस्कार से मानव जीवन रूप, गुण, धन, संतान तथा धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को भी प्राप्त करता है। उपनयन (यज्ञोपवीत) संस्कार सोलह संस्कारों में दसवां संस्कार है, मनुष्य जीवन के लिए यह संस्कार विशेष महत्वपूर्ण है। इस संस्कार के अंदर ही बालक के जीवन में भौतिक तथा आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। इस संस्कार में वेदारम्भ संस्कार का भी समावेश है, इस संस्कार में वटुक को गायत्री मंत्र की दीक्षा दी जाती है, और यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है।
विशेषकर अपनी-अपनी शाखा के अनुसार वेद अध्ययन आरंभ किया जाता है ,यह संस्कार ब्राह्मण बालक का आठवें वर्ष में,क्षत्रिय बालक का ग्यारहवें वर्ष में, तथा वैश्य बालक का बाहरवें वर्ष में करने का विधान है, किंतु आज हमारे सनातनी लोग इन संस्कारों से दूर होते जा रहे हैं। इस कारण समाज में विकृतियां पैदा हो रही हैं। उन्होंने इन बालकों को सत्य अहिंसा के मार्ग पर चलने का उपदेश किया।
उपनिदेशक संस्कृत शिक्षा पदमाकर मिस्र ने छात्रों को शुभकामनाएं प्रदान की। वैदिक ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष आचार्य मणिराम पैन्यूली, महामंत्री आचार्य महेश चमोली, मुनीश्वर वेदांग महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ जनार्दन कैरवान, जितेंद्र प्रसाद भट्ट, शिव प्रसाद सेमवाल, गंगाराम व्यास, शिव स्वरूप नौटियाल, जगमोहन मिश्रा, शंकर भट्ट, सुरेश पंत, राजेन्द्र व्यास, अमित कोठारी, नरेंद सकलानी, सौरभ सेमवाल, मनोज चमोली, रामकृष्ण कोठियाल, नवीन भट्ट, डॉ दयाकृष्ण, विजय जुगलान, विनोद गैरोला, जयकृष्ण जुयाल, अर्जुन गौतम आदि उपस्थित रहे।