केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रविवार को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर कहा कि भारत का हथकरघा क्षेत्र हमारी समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।
गृह मंत्री ने बताया कि 1905 में आज ही के दिन शुरू हुए स्वदेशी आंदोलन और इस भारतीय प्राचीन कला को पुनर्जीवित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में घोषित किया था। इसका उद्देश्य देशवासियों को स्वदेशी बुनकरों द्वारा बुने गए हथकरघा उत्पादों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना भी है।
उन्होंने कहा, “इस 8वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर, आइए हम हथकरघा विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने और अपने हथकरघा बुनकरों, विशेष रूप से महिलाओं को सशक्त बनाने के मोदी सरकार के संकल्प को आगे बढ़ाने के लिए हाथ मिलाएं।”
इस अवसर पर कपड़ा मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा कि हम अपने राष्ट्र के बुनकरों के बिना अधूरे हैं। वे अपने कुशल हाथों से आकर्षक परिधान बुनते हैं और हमारी विरासत और संस्कृति को आगे ले जाते हैं। आइए इस हथकरघा दिवस यानि आज हम कम से कम एक हथकरघा वस्तु खरीदकर उनकी मेहनत को एक सूत्र में पिरोएं और अपना समर्थन दें।
मंत्रालय के अनुसार हथकरघा हमारे देश के ग्रामीण और अर्ध-ग्रामीण हिस्सों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह क्षेत्र सीधे महिला सशक्तिकरण को संबोधित करता है, क्योंकि सभी बुनकरों और संबद्ध श्रमिकों में 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं।
वहीं खादी इंडिया का कहना है कि हम सभी का प्रयास होना चाहिए कि न सिर्फ भारतीय हथकरघा और हस्तशिल्प का ज्यादा-से-ज्यादा उपयोग करें, बल्कि, इसके बारे में हमें ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को बताना भी चाहिए।