कोर्ट में ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह की ओर से एसएफए नकवी ने पक्ष रखा। तर्क दिया कि जिस संपत्ति को लेकर जिला न्यायाधीश मथुरा सुनवाई कर रहे हैं, वह उनके क्षेत्राधिकार से बाहर है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में शाही ईदगाह मस्जिद और श्रीकृष्ण जन्म भूमि विवाद मामले में एक और याचिका दाखिल हो गई है। इस याचिका में भी जिला न्यायाधीश के 19 मई 2022 को दिए आदेश को चुनौती दी गई है। मैनेजमेंट ऑफ कमेटी ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मंदिर से जुड़े सभी पक्षों से जवाब तलब किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले को सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल याचिका से संबद्ध कर दिया है। अब दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी।
कोर्ट में ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह की ओर से एसएफए नकवी ने पक्ष रखा। तर्क दिया कि जिस संपत्ति को लेकर जिला न्यायाधीश मथुरा सुनवाई कर रहे हैं, वह उनके क्षेत्राधिकार से बाहर है। क्योंकि, मंदिर पक्ष की ओर से शाही ईदगाह की जिस भूमि को भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली बताया जा रहा है, उसकी मलकियत बहुत अधिक है। जबकि, जिला न्यायाधीश को 25 लाख रुपये से अधिक की मलकियत पर सुनवाई का अधिकार नहीं है।
याची पक्ष की ओर से कहा गया वाद पर पर विचार करने की आवश्यकता है। कोर्ट ने याची के तर्कों को स्वीकार करते हुए मामले में सभी प्रतिवादियों को आठ सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश पारित किया। इसके बाद याची पक्ष को चार सप्ताह में प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि मामले में प्रतिवादियों को अपने हलफनामे को दाखिल करने केलिए दो से अधिक अवसर प्रदान नहीं किए जाएंगे। इसके बाद मामले को सुनवाई केलिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
जिला अदालत में सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री की ओर से सिविल जज सीनियर डिवीजन के यहां मुकदमा दाखिल कर 1969 के मस्जिद और मंदिर पक्ष के बीच हुए समझौते को चुनौती दी गई थी। कहा था कि समझौता गलत हुआ था। शाही ईदगाह मस्जिद की भूमि वास्तव में श्रीकृष्ण जन्म स्थली है।