Search
Close this search box.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश- फिलहाल असली शिवसेना के मसले पर कोई फैसला न किया जाए

Share:

पांच सदस्यीय संविधान बेंच के पास मामला भेजने पर 8 अगस्त को कोर्ट सुनाएगा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र मामले पर गुरुवार को सुनवाई के बाद निर्वाचन आयोग को आदेश दिया कि फिलहाल असली शिवसेना के मसले पर अभी कोई फैसला न किया जाए। कोर्ट 8 अगस्त को फैसला सुनाएगा कि इस मसले को पांच सदस्यीय संविधान बेंच के पास भेजा जाए या नहीं।

चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि निर्वाचन आयोग के यहां 8 अगस्त को सुनवाई की तिथि तय है। अगर याचिकाकर्ता निर्वाचन आयोग से समय मांगना चाहते हैं तो निर्वाचन आयोग उस पर विचार करे। कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वो असली शिवसेना के मसले पर अभी कोई फैसला नहीं करे। कोर्ट 8 अगस्त को ये फैसला सुनाएगा कि इस मसले को पांच सदस्यीय संविधान बेंच के पास भेजा जाए या नहीं।

सुनवाई के दौरान शिंदे गुट के वकील हरीश साल्वे ने अयोग्यता को लेकर स्पीकर के अधिकार और प्रक्रिया को पूरा करने के तरीके को लेकर कई बिंदु रखे और उन पर विस्तृत सुनवाई की मांग की। साल्वे ने कहा कि विधायक सदन की गतिविधि में हिस्सा लेने के अधिकारी हैं। वह पार्टी के खिलाफ भी वोट करे तो वह वैध होगा। तब चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या एक बार चुने जाने के बाद विधायक पर पार्टी का नियंत्रण नहीं होता। वह सिर्फ पार्टी के विधायक दल के अनुशासन के प्रति जवाबदेह होता है।

उद्धव गुट की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने यह मामला संविधान पीठ को न भेजे जाने का अनुरोध करते हुए कहा कि मैं और सिंघवी 2 घंटे में अपनी दलील खत्म कर सकते हैं। सिब्बल ने कहा कि अयोग्य ठहराए जा चुके विधायक चुनाव आयोग में असली पार्टी होने का दावा कैसे कर सकते हैं। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि ऐसा करने से किसी को नहीं रोका जा सकता।

सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वकील अरविंद दातार ने कहा कि अगर हमारे पास मूल पार्टी होने का कोई दावा आता है, तो हम उस पर निर्णय लेने के लिए कानूनन बाध्य हैं। दातार ने कहा कि विधानसभा से अयोग्यता एक अलग मसला है। हम अपने सामने रखे गए तथ्यों के आधार पर निर्णय लेते हैं। उद्धव ठाकरे गुट ने कहा है कि जब तक शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं हो जाता, चुनाव आयोग को तब तक अपनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।

याचिका में कहा गया है कि अभी शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता करवाई का मामला लंबित है, ऐसे में निर्वाचन आयोग ये तय नहीं कर सकता है कि असली शिवसेना कौन है। निर्वाचन आयोग में 8 अगस्त तक दोनों पक्षों से दस्तावेज तलब किया है। ठाकरे गुट ने महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसके अलावा महाराष्ट्र विधानसभा की 3 और 4 जुलाई को हुई कार्यवाही में नए स्पीकर के चुनाव और शिंदे सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव की कार्यवाही को अवैध बताया गया है। ठाकरे गुट ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की ओर से सांसदों को हटाने के फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

सांसद विनायक राउत और राजन विचारे ने दाखिल याचिका में राहुल शेवाले को लोकसभा में शिवसेना संसदीय दल के नेता और भावना गवली को मुख्य सचेतक के पद पर की गई नियुक्ति को रद्द करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि लोकसभा स्पीकर का फैसला मनमाना और शिवसेना के संसद में अधिकृत प्रतिनिधियों के फैसलों के खिलाफ है। याचिका में कहा गया है कि शिवसेना ने लोकसभा स्पीकर को विनायक राउत को लोकसभा में पार्टी का नेता और राजन विचारे को चीफ व्हिप घोषित करने की सूचना दी थी। इसके बावजूद स्पीकर शिंदे गुट के उम्मीदवार को मंजूरी दी। यहां तक कि लोकसभा स्पीकर ने शिवसेना से कोई स्पष्टीकरण भी नहीं मांगा।

आशा खबर /रेशमा सिंह पटेल

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news