मार्च में क्रूड तेल का भाव 113 डॉलर पर था जो अब 100 डॉलर के आस-पास कारोबार कर रहा है। विश्लेषकों ने कहा कि फैक्ट्री गतिविधियों के आंकड़ों के बाद कच्चे तेलों की कीमतों में गिरावट दिखी है। साथ ही दुनिया की अर्थव्यवस्था भी धीमापन की ओर बढ़ रही है।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट जारी है। मंगलवार को ब्रेंट क्रूड 0.8 फीसदी गिरकर 15 जुलाई के निचले स्तर 99.26 डॉलर पर पहुंच गया। निवेशकों ने विनिर्माण में मंदी और ईंधन की घटती मांग के कारण सावधानी बरती, जिससे दाम में कमी देखी गई। तेल निर्माता इस हफ्ते आपूर्ति को बढ़ाने या न बढ़ाने पर विचार करने वाले हैं। इस हफ्ते में अमेरिकी क्रूड बेंचमार्क भी 92.42 डॉलर पर आ गया, जो 14 जुलाई के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गया।
मार्च में क्रूड तेल का भाव 113 डॉलर पर था जो अब 100 डॉलर के आस-पास कारोबार कर रहा है। विश्लेषकों ने कहा कि फैक्ट्री गतिविधियों के आंकड़ों के बाद कच्चे तेलों की कीमतों में गिरावट दिखी है। साथ ही दुनिया की अर्थव्यवस्था भी धीमापन की ओर बढ़ रही है। सोमवार को इसकी चिंता तब बढ़ गई, जब संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, यूरोप और एशिया में सर्वेक्षणों से पता चला कि जुलाई में फैक्ट्री गतिविधियां कम रहीं।
बुधवार को ओपेक की बैठक
बुधवार को तेल उत्पादक देशों के संगठन (ओपेक) और रूस के साथ अन्य देशों की बैठक होनी है। इसमें सितंबर में तेल के उत्पादन पर निर्णय लिया जाएगा। इस फैसले पर सभी की नजर है। ऐसी उम्मीद है कि सिंतबर में उत्पादन स्थिर रह सकता है। हालांकि सऊदी अरब तेल उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित कर सकता है।
धीरे-धीरे घट रही तेल की कीमतें
विश्लेषकों ने कहा, तेल की कीमतों की तेजी धीरे-धीरे फीकी पड़ रही है। आपूर्ति और मांग की स्थिति स्पष्ट होने के बाद इसमें और गिरावट आ सकती है। इस बीच अमेरिका ने चीन की और कुछ अन्य कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया। इन कंपनियों ने पूर्वी एशिया को ईरानी तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों को बेचने में मदद की।
आशा खबर / उर्वशी विश्वकर्मा