विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट के बीच कर्ज पाने के लिए बांग्लादेश अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बातचीत शुरू करने जा रहा है। बांग्लादेश ने कुछ ही दिन पहले कर्ज के लिए अपना आवेदन आईएमएफ के पास भेजा था। इस तरह दुनिया भर में बढ़ रहे मौजूदा आर्थिक संकट के बीच बांग्लादेश तीसरा ऐसा दक्षिण एशियाई देश बना है, जो आईएमएफ की पनाह में गया है। इसके पहले श्रीलंका और पाकिस्तान आईएमएफ से नया कर्ज पाने की गुहार लगा चुके हैं।
बांग्लादेश के अखबार द डेली स्टार के मुताबिक बांग्लादेश ने आईएमएफ से 4.5 बिलियन डॉलर का कर्ज मांगा है। बांग्लादेश की शेख हसीना वाजेद सरकार ने आईएमएफ के पास जाने का फैसला विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से आई गिरावट के बाद किया। जानकारों के मुताबिक प्राकृतिक गैस समेत दूसरे आयात का बिल तेजी से बढ़ने और निर्यात में गिरावट के कारण बांग्लादेश भी विदेशी मुद्रा के संकट में फंसता दिख रहा है।
आईएमएफ के मुताबिक बांग्लादेश आईएमएफ की नई जलवायु संरक्षण सुविधा के तहत भी सहायता पाने का इच्छुक है। आईएमएफ ने ये नई सुविधा विभिन्न देशो को जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में मदद देने के मकसद से निर्मित की है। आईएमएफ के प्रवक्ता ने कहा है- ‘आईएमएफ बांग्लादेश की सहायता करने के लिए तैयार है। हमारे कर्मचारी तय नीति और प्रक्रियाओं के तहत बांग्लादेश के अधिकारियों से बातचीत करेंगे। उस वार्ता के आधार पर ही सहायता की रकम तय होगी।’
बांग्लादेश की कुल अर्थव्यवस्था 415 बिलियन डॉलर की है। उसे हाल में दुनिया के सबसे तेजी से उभर रहे देशों में समझा जाता रहा है। खास कर उसके कपड़ा उद्योग ने यूरोप, अमेरिका और लैटिन अमेरिका में अपने लिए बड़ा बाजार बनाने में सफलता हासिल की है। लेकिन हाल में अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊर्जा और खाद्य पदार्थों की बढ़ी कीमतों के कारण बांग्लादेश को इन वस्तुओं के आयात पर अधिक रकम चुकानी पड़ रही है। इससे बहुत से दूसरे देशों की उसका भी भुगतान संतुलन बिगड़ गया है।
कोरोना महामारी आने के बाद से तकरीबन 90 देश कर्ज हासिल करने के लिए आईएमएफ के पास पहुंच चुके हैँ। लेकिन आईएमएफ उनमें से कुछ ही देशों को कर्ज देने पर राजी हुआ है। आईएमएफ के पास सदस्य देशों को एक ट्रिलियन डॉलर तक कर्ज देने की क्षमता है। इसमें से अभी तक उसने 250 बिलियन डॉलर कर्ज देने का मन बनाया है। आईएमएफ अक्सर कड़ी शर्तों के साथ कर्ज देता है। इसलिए विभिन्न देशों उसकी शर्तें विवाद का बड़ा कारण बन जाती हैं।
बांग्लादेश के वित्त मंत्री एएचएम मुस्तफा कमाल ने कहा है, ‘अगर आईएमएफ की शर्तें हमारे अनुकूल हुईं और उनका हमारी विकास नीति से तालमेल बनता दिखा, तभी हम हम उससे कर्ज लेंगे। वरना, हम कर्ज लेने से इनकार कर देंगे।’ आईएमएफ अतीत में कर्ज देने के साथ सब्सिडी में कटौती और अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता लाने जैसी शर्तें थोपता रहा है।
इस बीच बांग्लादेश के चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने सुझाव दिया है कि बांग्लादेश के सेंट्रल बैंक को चीन की मुद्रा युवान को दूसरी रिजर्व करेंसी बनाने पर विचार करना चाहिए। चैंबर ने कहा है कि युवान को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए दूसरी रिजर्व करेंसी बनाने से देश को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि तब देश में डॉलर की मांग घट जाएगी।