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अब सैटेलाइट तस्वीरों से पता लगाया जा सकेगा सैन्य भूमि का अवैध निर्माण

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अब सैटेलाइट तस्वीरों से पता लगाया जा सकेगा सैन्य जमीनों का अवैध निर्माण  

– अतिक्रमण का पता लगाने के लिए एआई-आधारित सॉफ्टवेयर विकसित किया गया

– आजादी के बाद पहली बार सर्वेक्षण पूरा करके सैन्य भूमि को सुरक्षित रखने की तैयारी

देशभर में फैली कुल 17.78 लाख एकड़ सैन्य भूमि का सर्वेक्षण पूरा करने के बाद अब रक्षा भूमि पर अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण का पता लगाने के लिए एआई-आधारित सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है। इस ऐप के जरिये सैटेलाइट तस्वीरों से अवैध निर्माण या सैन्य भूमि में किए गए बदलावों का आसानी से पता लगाया जा सकेगा। जीपीएस, ड्रोन इमेजरी और सैटेलाइट इमेजरी जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके आजादी के बाद पहली बार रक्षा मंत्रालय ने सैन्य भूमि का सर्वेक्षण किया है।

महानिदेशालय रक्षा संपदा (डीजीडीई) ने बताया है कि सैटेलाइट और मानव रहित रिमोट व्हीकल इनिशिएटिव (सीओई-सर्वे) पर उत्कृष्टता केंद्र ने एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित सॉफ्टवेयर विकसित किया है। यह सॉफ्टवेयर सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग करके देश भर में फैली सैन्य भूमि पर अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण का पता लगा सकता है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भूमि प्रबंधन और शहरी नियोजन के लिए उपग्रह इमेजरी, ड्रोन इमेजरी और भू-स्थानिक उपकरण का उद्घाटन 16 दिसंबर, 2021 को किया था। इस चेंज डिटेक्शन सॉफ्टवेयर को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी), विशाखापत्तनम के सहयोग से विकसित किया गया है।

आजादी के बाद पहली बार रक्षा मंत्रालय ने देश भर में फैली कुल 17.78 लाख एकड़ सैन्य भूमि का सर्वेक्षण तीन वर्षों के भीतर किया है। देश की 62 सैन्य छावनियों के अंदर की लगभग 1.61 लाख एकड़ और छावनियों के बाहर की 16.17 लाख एकड़ जमीन का सर्वेक्षण करने में तीन वर्ष लगे हैं। विश्वसनीय सर्वेक्षण प्रक्रिया में जीपीएस, ड्रोन इमेजरी और सैटेलाइट इमेजरी जैसी आधुनिक सर्वेक्षण तकनीकों का उपयोग किया गया। 16.17 लाख एकड़ भूमि में से लगभग 18 हजार एकड़ जमीन या तो राज्य सरकारों ने किराए पर ले रखी है या अन्य सरकारी विभागों को हस्तांतरण किये जाने का प्रस्ताव है। रक्षा मंत्रालय के रक्षा संपदा महानिदेशालय ने अक्टूबर, 2018 से रक्षा भूमि का सर्वेक्षण शुरू किया था।

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि यह टूल प्रशिक्षित सॉफ्टवेयर के साथ नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) कार्टोसैट-3 इमेजरी का उपयोग करता है। अलग-अलग समय पर ली गई उपग्रह इमेजरी का विश्लेषण करके अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण का पता लगाया जा सकता है। इस सॉफ्टवेयर से छावनी बोर्डों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) को सैन्य भूमि में किये गए बदलावों को पहचानने में आसानी होगी। परिवर्तनों की पहचान करने के बाद उनके वैध या अवैध होने की जांच की जा सकेगी। सीईओ को यह भी पता चल सकेगा कि क्या अनधिकृत निर्माण या अतिक्रमण के खिलाफ समय पर कार्रवाई की गई है और यदि नहीं, तो बिना देरी के उचित कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

इस सॉफ्टवेयर के जरिये फील्ड स्टाफ की जवाबदेही सुनिश्चित करने के साथ ही भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा। इस सॉफ्टवेयर से अब तक 1,133 अवैध कब्जे खोजकर 570 मामलों में कार्रवाई भी की जा चुकी है। शेष 563 मामलों में छावनी बोर्डों ने कार्रवाई शुरू की है। उत्कृष्टता केंद्र ने अब कुछ अन्य प्रतिष्ठित संगठनों के साथ साझेदारी की है ताकि चेंज डिटेक्शन सॉफ्टवेयर की कार्यक्षमता को बढ़ाया जा सके। इससे दूरस्थ और दुर्गम इलाकों में स्थित रक्षा भूमि के प्रबंधन में सहायता मिलेगी। सीओई-सर्वे ने भूमि प्रबंधन के लिए खाली भूमि विश्लेषण और पहाड़ी छावनियों के 3डी इमेजरी विश्लेषण के लिए उपकरण भी विकसित किए हैं। भूमि प्रबंधन प्रणालियों के माध्यम से रक्षा भूमि का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाने की योजना है।

आशा खबर /रेशमा सिंह पटेल

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